हिंदी में निबंध साहित्य | Hindi Mein Nibandh Shahitya

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Hindi Mein Nibandh Shahitya by जनार्दनस्वरूप अग्रवाल - Janardan Swaroop Agrawal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हिन्दी-साहित्य में निबंध की कल्पना अ प्रारंभिक स्थिति . हिन्दी-साहित्य में निबंध शब्द का प्रयोग बड़ी अ्सावधानता के साथ किया जाता है। “जिस प्रकार किसी उपन्यास का एक परिच्छेद या प्रकरण श्राख्यायिका नदीं कदा जा सकता, वरन्‌ श्राख्यायिकर कहलाने के लिये उसमें आख्यायिका शैली की विशेषताएँ तथा उसकी कलात्मक पूर्णता आवश्यक है, उसी प्रकार किसी दाशनिक या साहि- त्यिक ग्रंथ का एक अध्याय निबंध के नाम से अभिद्वित नहीं हों सकता ।?? किन्तु हिन्दी में अभिभाषण, व्याख्याम, मासिक पत्रिकाओं के साधारण लेख, समालोचनात्मक प्रबंध--यहाँ तक कि वार्तालाप और संवाद तक को भी कभी कभी साहित्यिक सम्मान प्रदान करने की अभिलाषा से निबंध संज्ञा दे दी जाती है | परन्तु निबंध ओर ऐसे लेखों में अंतर है । पाश्चात्य दृष्टिकोण से तो उनका लक्ष्य भी भिन्न द्वी है। वहाँ के निबंधों का प्रमुख अंग श्रात्मचरित्र-चित्रण है । इस लक्ष्य-प्राप्ति के लिये यूरोप के निबंधकार कभी कभी करित पात्र के नाम से भी लिखते हैं यथा লা लैम्ब (इलिया), ए० जी० गा्डनर (श्रव्फा आफ द ज्ञाउ), आदि अन्यथा आत्मप्रशंसा पाठकों को असंतुष्ट रखती है और आत्मनिंदा आत्मतुष्टि में बाघक होती है । हिन्दी में भी 'श्रात्माराम! “'भुजंगभूषण भटद्टाचाय” आदि दो एक कह्पित नामों से लिखे निबंध मिल जायेंगे किन्तु भारतव्ष का दृष्टिकोण ही भिन्न है । सच तो यह है कि यदि पश्चिम को इस विशुद्ध परिभाषा वाले निबंधों की कसोटी पर दम हिन्दी के निबंध-सादित्य को कसेंगे, तो न केवल हमारा इश्कोण संकुचित हो ; ॥ 4 ॥ 1 | 1 1 1 ॥ । 1 ॥ | ॥ 7 | | ৰা ¦ 1 ॥ ¢ | ॥ ५ 7 1} | । ॥ / भ | 1 ঠা ঠা | ॥ 1 | 1 1 1 | ॥ ॥ ( ॥ ॥ ॥ 1 | ही | | | | | ॥ ॥ ( ॥ | | |




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