भीष्म | Bhishma
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
202
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हृदय । ] पहला अंक । ७
घीवर--हों कुछ भी नहीं लगा |
१ धीचर--चछो, घर छोट चलें |
२ धीवर----चठछो |
१ धीवरे---अच्छा क्योंजी, यह रात है या दिन
२ धीवर--रात है ।
१ धीवर--तो फिर झँवेरा क्यों नहीं ই £
२ धीवर--देखते नहीं, चोद निकला है |
१ धीवर---ठीक है | ठेकिन यह चद कैसा भवानक है ---
मानो जल रहा है |
२ धीवर--सच कहते हो [ओह इसकी ओर तो देखा
नदीं जाता |
१ धीवर---अच्छा, बताओ भाई, चँदसे अधिक उपकार होता
है, या सूर्ते अधिक उपकार होता है ?
२ धीवर---सूर्यसे ।
१ धीवर---ेरे दूर हो !
२ धीवर--क्यों ?
१ घीवर---चौंदसे अधिक उपकार होता है।
२ धीवर--कैसे !
१ धीवर--अरे देखते नहीं हो भाई चौद न दोतातो वडा विकट
अँधेरा होता | चाँद ही तो अँधेरी रातमें उजियाछा करता है।
२ धीवर---ओर सूर्य £
१ धीवर---वह तो दिचको उजियाछा करता है । दिनकों तो
सूर्यकी जरूरत ही नहीं है |
२ धीवर--तुमने तो खूब सोचा ।
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