वेद - सन्देश भाग - 4 | Veda-sandesha Bhag - 4
श्रेणी : धार्मिक / Religious, पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
188
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री विश्वबन्धु शास्त्री - Shri Vishvabandhu Shastri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)^
ৃ पष्ठ र्ठ
, , व्वमम्ने श्रदिति्देव ` ४३ | ब्रह्म च तपरच कीत्तिश्ष ** ६१
त्वमग्ने द्रविणोदा তই म
: स्वमण्ने राजा वरुणो `` ४९१३ | भवद्रसु रिद ˆ १०८
॥ त्वमग्ने হ্ল্লী असुरो ৪ ८२ । भुवश्चत्तु मह ऋतस्य বীনা ६ হ
व्वमङ्क प्र शंसिष: “ र | भूतं च भव्य च अ्रद्धा * ६१
। दु भूय इड्रषे লীমা ` ३२
` श्यावा चिद्स थिवी `ˆ १९६ | मूयानराव्याः शच्या; ˆˆ‡ १०४
1 নী भूयानिन्द्रो नराद् ` `` १०४
। न तस्य प्रतिमा ““ १२६ म
न हितीयो न तृतीय `` ८ | मतयः सोमपामुरुं `ˆ १६८
न पञ्चमी न षष्ठ ` ८ | मा चिदस्य विशंसत `“ २१
नमस्ते भ्रस्तु परयत `` १०६,१०८ । मिच्रो अ्नम्निर्भवति ` ९७
| नष्टमो न नवमो `` म य
| प यं करन्दसी संयती ˆ १९३
; परचात् प्रीज्श्रा ++ ८१ | यं स्मा प्रच्छन्ति ङ - १५२
पापाय वाभद्रायवा `` १०१ | यः पृथिवीं व्यथमाना --* १४४
६ पुरुहूतो यो पुर्गृत्तः `` २६ | यः शम्बरं पर्वतेषु *** १९९
¦ प्रतद्,चेदतं जु ˆ“ ३४ | यः शरवतो मध्यनो `“ ५९४
# प्रथो वरो व्यचो लोक १०८ | यः सप्त रश्मियू बस *** १९६
| व | यः सुन्वन्तमवति “ˆ` १९७
बृश्नेषामधिष्टाता `ˆ“ १३८ | यः सुन्वते यः पचते `“ १९८
User Reviews
No Reviews | Add Yours...