वेद - सन्देश भाग - 4 | Veda-sandesha Bhag - 4

Book Image : वेद - सन्देश भाग - 4  - Veda-sandesha Bhag - 4

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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^ ৃ पष्ठ र्ठ , , व्वमम्ने श्रदिति्देव ` ४३ | ब्रह्म च तपरच कीत्तिश्ष ** ६१ त्वमग्ने द्रविणोदा তই म : स्वमण्ने राजा वरुणो `` ४९१३ | भवद्रसु रिद ˆ १०८ ॥ त्वमग्ने হ্ল্লী असुरो ৪ ८२ । भुवश्चत्तु मह ऋतस्य বীনা ६ হ व्वमङ्क प्र शंसिष: “ र | भूतं च भव्य च अ्रद्धा * ६१ । दु भूय इड्रषे লীমা ` ३२ ` श्यावा चिद्स थिवी `ˆ १९६ | मूयानराव्याः शच्या; ˆˆ‡ १०४ 1 নী भूयानिन्द्रो नराद्‌ ` `` १०४ । न तस्य प्रतिमा ““ १२६ म न हितीयो न तृतीय `` ८ | मतयः सोमपामुरुं `ˆ १६८ न पञ्चमी न षष्ठ ` ८ | मा चिदस्य विशंसत `“ २१ नमस्ते भ्रस्तु परयत `` १०६,१०८ । मिच्रो अ्नम्निर्भवति ` ९७ | नष्टमो न नवमो `` म य | प यं करन्दसी संयती ˆ १९३ ; परचात्‌ प्रीज्श्रा ++ ८१ | यं स्मा प्रच्छन्ति ङ - १५२ पापाय वाभद्रायवा `` १०१ | यः पृथिवीं व्यथमाना --* १४४ ६ पुरुहूतो यो पुर्गृत्तः `` २६ | यः शम्बरं पर्वतेषु *** १९९ ¦ प्रतद्,चेदतं जु ˆ“ ३४ | यः शरवतो मध्यनो `“ ५९४ # प्रथो वरो व्यचो लोक १०८ | यः सप्त रश्मियू बस *** १९६ | व | यः सुन्वन्तमवति “ˆ` १९७ बृश्नेषामधिष्टाता `ˆ“ १३८ | यः सुन्वते यः पचते `“ १९८




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