आय-कर कानून और खाते | Aay-Kar Kanun Aur Khate

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Aay-Kar Kanun Aur Khate by चन्द्रभानु गुप्त - Chandrabhanu Gupt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अध्याय २ आय-कर की प्रमुख परिभाषाएं आ्राय-कर कानून की धारा २ में कुछ शब्दो की परिभाषाएं दी गई है जिनमे से मुख्य-मुख्य निम्नलिखित है -- (१) हकृषि आय (3£770एॉप्र/७ 1700116) --श्रायकर एक्ट के अनूसार कृषि ्राय उस जमीन की श्राय को माना जाता हँ जो (१) कृषि के कामो मे लाई जाती है, (२) जिस पर टैक्स लगनेवाले धेत्रो (18581016 वृद्निण(0168) मे सरकार को लगान या स्थानीय सत्ता को कर दिया जाता है और जिसे सरकारी अफसर वसूल करते हो। अन्य कोई भी आय, जो जमीन से भले ही प्राप्त क्यो न हो, कृषि आय तव तक नही कही जा सकती जब तक वह जमीन इन दोनो शर्तो को पूरा न करती हो। यह कृषि भ्राय पाच प्रकार की हौ सकती ह-- (क) उस जमीन का किराया या लगान जो जागीरदार या भूमिपति वसूल करे । (ख) वह झाय जो जमीन की पैदावार से कृषक या माल के रूप मे लगान लेनेवाले को प्राप्त हो । (ग) वह भ्राय जो कृषक या माल के रूप में लगान लेनेवाले को उस जमीन की पैदावार को बिक्री योग्य बनाने पर हो । (घ) उस जमीन की ऐसी पैदावार को बेचने से होनेवाली आय । (জ) वह आय जो इस प्रकार के मकानात से हो जो कृषि के काम ভাবী হী। भारतीय झ्राय-कर कानून के अनुसार टैक्स लगनेवले क्षेत्रो मे उत्सन्न होनेवाली कृपि आय इनकमटेक्स से मुक्त है । परन्तु जो कृषि की भ्राय भ्रन्य देशो व राज्यो से भारत मे लाई जाती है उस पर इनकमरैक्स लगता




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