बाल गंगाधर तिलक और गोपाल कृष्ण गोखले के राजनीतिक एवं सामाजिक विचारों का तुलनात्मक अध्ययन | Bal Gangadhar Tilak Aur Gopal Krishna Gokhale Ke Rajneetik Avam Samajik Vicharon Ka Tulnatmak Adhyayan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
220
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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का वर बारह अथवा चौदह वर्ष कौ कन्या के साथ विवाह कर सकता था ओर यह प्रथा सामान्य
थी | ० रेदित घोष एक तेरह वर्ष कौ एक ऐसी कन्या का उल्लेख करते है जिसका विवाह
कलकत्ता के एक 75 वर्षं कौ अवस्था वाले धनी, तथा ख्याति प्राप्त व्यक्ति के साथ हुञजा था!
तात्कालीन सामाजिक व्यवस्था में प्रचलित कन्या वध, एक एेसी कुप्रथा थी जिसके पीष्ठे कोई
धार्मिक कारण नहीं वरन् इसमे आर्विभाव के पीले कुछ सामाजिक कारण थे। जहाँ तक इसके
प्रचलन का प्रश्न हे तो यह उत्तर प्रदेश, राजस्था, गुजरात, पंजाव आदि मेँ प्रचलित था। इस कुप्रथा से
राजपूत जातियां ज्यादा प्रबावित थी इसके पीके विवाह की मजबूरियां जो कुल परम्परा के अनुसार ही
हो सकती थी। हिन्दू धर्म में मोक्ष की कल्पना जो की पुत्र प्राप्ति से ही संभव थी तथा वंश के
निरन्तरता के लिए पुत्र का जन्म आवश्यक था। टॉड के अनुसार “पुत्री का जन्म राजपूत पारिवारों के
लिए एक दुखद घटना थी । इससे स्त्री जाति से सम्बन्धित उक्त समस्याओं के समाधान के लिए कन्या
वध जेसे कुप्रथाओं का प्रचलन हुआ था 1853 की रिपोर्ट के अनुसार यह प्रथा सभी जातियों में
प्रचलित थीं।+ मालवा तथा राजपूताना में प्रति वर्षं 20.000 कन्याओं का वध होता था ७ बड़ौदा के
निकट ज्ञरिया राजपूतों में यह प्रथा अत्यधिक प्रचलित थी +
जहां एक ओर हिन्दूओं मे कतिपय सामाजिक कुरीतयां थी वही मुसलमानों में
जनाना व्यवस्था थी । ' जनाना' के सम्बन्ध में पी० सी० राय ने लिखा है कि “यह एक जीवन पर्यन्त
---- ~~ সিল তিল টি পিপিপি পাপা পাস সা
1. सर पी० सी० २० : यूनिवर्सिटी कालेज आफ साइंस एण्ड टक्नालोजी कलकत्ता भाग 6. पृ० 225
९)
डॉ० गदित घोष, चाइल्ड मेरिज द इण्डियन माइनेटर, पृ० 30
3. रोड, एनलस एण्ड सन्टीक्यूरस ऑफ राजस्थान, भाग प्रथम पृ० 505.
4 ब्राउन, जेन्सी इण्डियन इन फैन्टीसाइड इट्स ओरीजन एण्ड सप्रेसन लद॒न पृ० 108 से 129
5. ब्राउन बही, पृ० লও 58.
6. वही, पर 31.
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