भारत की शासन प्रणाली | Bharat Ki Shasan Pranali
श्रेणी : इतिहास / History, राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22.66 MB
कुल पष्ठ :
427
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पद
ननयर विन विवाह से भारत व पल का प्रस्तुत बरतने से होने बाने व्यय वा निए दिया जाना
था । नत 1883 मे सुररनाथ बनर्जी न से तीन त्विसीय भारताय राप्टीय
को जाहत दिया । सम विभित प्रास्ता वे ध्रततिनिधिया से भाग दिया । यह सम्मलेन यथप्ट उत्सात
व वातावरण भें सम्पत हुआ । इससे यार स्पप्ततया श्रवट हा गया कि भारत से राष्ट्रीय चेतना
सप्रिय रूप से जागत हो हैं और उसका प्रिटिग शासन की दमनकारी सीतिया का
विरोध करना है वया्कि जिलिदा टासफ हर प्रकार से भारतवासिया का दवान व नीचा खान वे
मे लग है ।
वितन के चले जान पर जोड़ रिपन (1880-84) क॑ वाइसेरायह्व काल से उसकी सलासन
नीतिया मे जो उतारता दोपी समयी उसने कारण भें भारत वे जनेव वर्मों से थह घारणा
उत्पन हु कि अयाय तथा अत्याचारपूण का संगठित विराध उस समाप्त कर दन मे
महायव सिद्ध होता है अतएव यनि भारतीय राष्ट्र भावना का संगठित वरकें विकसित किया
जायगा सो भारत म ब्रिन्ता सरकार की जयायपु्ण तथा सापणकारी नीतिया व ऊपर प्रतिराध
नग सबेगा । रिपन ने लिनने वी अयाया वदमा को समाप्त क्या था । साथ ही
उसके मे भारत म वे निमितत स्थानीय स्वायत्त शासन का लीगणत ठुना
या । भी भारतीय राप्तीय भावना का विवसित होने वे यहुत प्रीत्साहन मिना । रिपन
चने जाने पर जाई नलफरिन के हासन काल से निश्चित रूप से भारतीय राप्टीयता का संगठित
म्वान्प प्रस्फुित हो गया ।
प्रश्न
1 उन्नासवी शता गे के उतिम चरण मे भारत में दाप्ट्रीय जागरण कं कया कारण थे ?
2. जान की शासनकाल से वे कौनसे काम हुए भारतवासियां मे राध्टीय चतना का जस निया *
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