बौने और घायल फूल | Baune Aur Ghayal Phool
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
220
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[५
हाजी ! भेड़ पर ऊन कोई नहीं छोड़ता ।
भाइयों, आप क्या कहते हैं। देखिये कांगरेस के जमाने
में श्राप इतना बोल छेते थे ? राजा के जमाने में आपको यहु
ग्राजादी थी ।*
सो क्या हुआ ? लगास न बढ़ा दिया, तमाकू का टैक्स
नहीं बढ़ा दिया । ऐसे बोलने भी न देंगे, न ऐसे राजा के जाये
हैं । दो दो कौडी के टुपिया ('
फिर माइक्रोफोन पर गृ जता स्वर: भाइयो और बहिनो !
में जब बुलवाऊगा । श्राप बोलिये ।
भारतमाता की
जय !
महात्मा गाँधी की'''
জনন !
परिडत जवाहरलाल नेहरू कौ ˆ
जय !
शहीदों की'''
जय !
प्रान््त के तपस्वी वीर बलिदानों परमेश्वर जी की *'
जेय ¦ `
वीर नन्दरयाम जी की'''
बीच में एक बोला: क्या जय बलवाने को लोडे लपाड़े
इकट करवा लिये हैं ।
क्या बनें इन जयों से !
प्राप भी बोलिये साब! राप क्या हमत के खिलाफ हैं ।
सि ज = न 6 क
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