अन्धी दृष्टि | Andhi Drishti

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Andhi Drishti by प्रतापनारायण टंडन - Pratapnarayan Tandan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१३ पीले, चमकीले बिन्दु पर फिर उसकी आंखें खिच जाती हैं । धीरे- चीरे वह कांप-कांपकर चौंकती हुईं सो जाती' है । श्राज सवेरे से ही एक नई स्त्री श्राकर वहां बैठ गई है और उसकी मां से घुल-घुलकर बातें कर रही है। उसकी मां भी उससे उत्साह और आत्मीयता के साथ बोल रही है । रीति {* तुम्हारी मांसी श्राई हैँ! उसकी मां उसे उठाकर एक हथेली पर बैठाते हुए, उसे मासी को दिखाता है । हाय!' उसकी मासी श्राह भरती हैं, 'लड़की तो बड़ी गोरी है -गिटुक जेसी! एक हृलास भरी पकी के साथ उसे फिर लिट दिया जाता है। प्म्मी!” मचलती आवाज़ में एक छोटी बच्ची कहती है, (हम भी -खिलाएंगे रीति को! ग्राज नहीं, फिर खिलाना ।” मासी उसे मना करती है। 'नहीं।' वह भौर मचलती है, हम भ्रभी खिलाएंगे ॥' इस बार उसे कोई उत्तर नहीं मिलता, बल्कि एक चांटा उसके गाल पर मारा जाता है। वह छुप होकर रीति को फिर किसी दिन खिलाने कौ बात मान जाती है। बड़ी दुबली हो गर्ई हो ।' अ्रपनी बच्ची से निबटने के बाद मासी 'फिर कहती हैं । । उत्तर में मां, सिर्फ हंसकर रह जाती है । भ्यहां तो बड़ा सीलन रहती होगी ।' उसकी मासी फिर कहती हैं। ऐसी तो कोई बहुत ज़्यादा नहीं है।'




User Reviews

  • Neeta Mehta

    at 2021-08-05 11:06:24
    Rated : 10 out of 10 stars.
    "Sadar Pranam 🙏🌼🌼"
    🙏🌼🙏 Atyant Anmol aur Anupam pustak hai.. Is Sansaar me Sach bahut kam hi kaha.. Suna aur likha jaata hai .. Yeh Pustak Jeewan ki sachhai hai .. Itna achha Lekhan aur paardarshita ki aankhon ke aansoo Thamte nahi.. Hriday ka spandan hi yartharth samajh jaata hai.. Is Anupam pustak ke liye Aapka bahut bahut Aabhaar..🙏🌼🌼
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