शांति और आनंद का मार्ग | Shaanti Aur Aanandaka Marg

Shaanti Aur Aanandaka Marg by धर्मानन्द - Dharmanand

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सत्यकी पूजा । १७ शक्ति अनुभव करते हैं, तभी हमारे हृदयमें सत्यका उदय द्ोदा है । दुःखका अर्थ सदा उिबलता है, चाहे दम इसको जानें या न जानें । + + + + सत्य हदये सदा वतमान है, किन्तु इसका जाननेके लिये आवश्यक पवित्रता ओर उद्यम बहुत थोड़े मनुष्य करने है । इस- लिये कहा है करि बहुत मनुष्य बुलाये जाते दँ किन्तु थोडे चुने जाते हैं। “सहस्व्रोंमें, कठिनाईसे एक मनुष्य पूर्णताके लिये प्रयल करता है ; ओर ( सहस्त्रों ) पूर्णाके लिये सच्चे परिश्रम करनेवालोंमें, फठिनाईसे एक मनुष्य यथाथ झरूपसे मुझको जानता हैं।? इसका कया कारण है? परिश्षप करनेवालोंकी संख्या अधिक ही क्यों न हो, वे निरन्तर उद्योग नहीं करते। उनके स्वभाव ओर प्रवृत्तियां डनको पथ-श्रष्ट करती हैं । किन्तु बहुत थोड़े मनुष्य, सहस्त्रोंमे एक, घुनमें लगे रहते हैं। वे रूत्यु पय्येन्त उद्योग करते हैं. ओर वे प्राप्त करते हैं। घे भले ही मर जायं पर सत्यकों न छोड़ेंगे। सत्यको प्राप्तिके लिये ऐसे निश्च- यकी आवश्यकता है । जब तुम पूजा करते हो अथवा प्रार्थना करने हो, कोई विशेष आयोजनकी आवश्यकता नहीं । जानो कि अपने हृदयमें वास्त- विक पदाथ सत्य भक्तिका होना आवश्यक है ? जब तुममें सत्य भक्ति है, तुम किसो मन्त्र का उच्चारण करो या न करो ; भगवान इसको सदा प्रहदण करते हैं। दम भगवानको क्‍या दे सकते हैं !




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