भारतीय अर्थशास्त्र की समस्याएँ भाग - 1 | Bharatiy Arthashastra Ki Samasyaen Bhag - 1
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
424
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्राकृतिक साधन ११
योजनां तीन या चार पंचवर्षीय योजनाशं के श्रन्द तक पूर्ण हो जायेँगी तब
বিতর शक्ति लगभग ७० लाख क्िलोवाट दु जायगी | इसारे देश में समस्या
केबल अधिक विद्यू त शक्ति के उत्पादन की दी नहीं है वरन् यह मी हे कि विद्युत
श्त पर्यास मात्रा में इतने सत्ते मूल्य पर लोग्रों को भाप्त हो सके कि किसान,
कैंक्ट्री वाले और अन्य साधारण कारीगर उसका श्रावानी से प्रयोग कर स्के]
चनस्पति ओर जानवर
विशाल चषेत्रपल, विभिन्न भौगोलिक स्थितियों, विभिन्न जलवायु इत्यादि के
कारण भारत में वे सब प्रकार के बन, फलों के बाग, और खेती की उपज जो
प्राय; उष्णु, शीत और समशोतोब्य जलवायु वाले भु-सेत्रों में पाये जाते हैं प्रात
ह। देश में पालतू तथा वन्य पशु भी अनेक प्रकार के मिलते हैं |
बन--भारत में बनों का क्षेत्रल लगभग १४ करोड़ ७७ लाख एकड़ है,
जिसमें से ४ करोढ़ ३५ लाख एकड़ जंगल दक्तिणी भाग में, ३ करोड़ ६७ लाख
एकड़ मध्यम भाग में, ३ करोड़ ६४ लाख एकड़ पूर्वो माग में और ७ करोड़ ছল
लाख ७० इजार एकड़ उत्तरी-पश्चिमी भागों में स्थित ई। द्वितोय मद्दायुद्ध के
समय और अनेक राज्यों में जमींदारी उन्मूलन के पूवं बहुत बी खल्या में वच
काटे गए, जिसके परिणामस्वरूप देश के वन-प्रदेश का क्षेत्रफल बहुत कम दो
गया है। वनों से देश को बहुत अधिक लाभ द्वोते हैं। उनसे ईंघन और इमारती
लकड़ी तो प्राप्त दोती दी है, इसके अतिरिक्त (१) वे झ्रौद्योगिक उपयोग के लिए
बाँध, सवाई व अस्य घासें, लाख, गोंद इत्यादि भी प्रदान करते हैं, (२) वे भूमि-
चरण (501 ८०४००) रोडते हैं, मूमि की उ्॑रता को सुरक्तित रखते हैं, और
(३) पशुत्रों के लिए चरागाह भी प्रदान करते दै}
बन राष्ट्रीय आय के श्रत्यन्च महत्वपूर्ण साधन हैं। उनसे उद्योगों के लिए
अनेक कब्चे माल সায় হার ই। লাংর के बनों से सम्बन्धित महत्वपूर्ण समस्याएँ
यह हैं कि : ৫) অনা के चेत्रफल में वृद्धि की जाय, (२) देश में जितने प्रकार के
वृक्ष पाए जाते हैं उनका संरक्षण किया जाय और (३) यथासंभव नई जाति के
बृक्ष भी उगाने प्रारम्भ हों ) भारत सरकार के वन जीहि से सस्शल्शिक मई २८४२
के प्रस्ताव में भारतीय चनों की सुरक्षा और उनके विकास करे आवश्यकता पर
ध्यान दिया। उस प्रस्ताव में यइ लक्ष्य रखा गया हि देश को छुछ भूमि का एक-
विह्वई भाग बनों के रूप में रहे | दिमालय-प्रदेश, दक्षिण ओ्रोर अन्य पर्बतीय क्षेत्रों
पर बनों के अ्स्तगेत कुल भूमि का ८०:रदेगा, जब कि समतल क्षेत्रों में कुल भूमि
२०% पर जंगल उग्ाए जायेंगे | प्रथम पंचवर्षीय योजना में वनों की विकास-
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