राजस्थानी साहित्य का आदिकाल | Rajathani Sahitya Ka Aadi Kal

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Rajathani Sahitya Ka Aadi Kal by नारायणसिंह भाटी - Narayan Singh Bhati

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राजस्याता साह॒त्य का झाद काल ६ ६४ को झ्रासानी से उपलब्ध नही होते और दिनोदिन नष्ट होते ही जा रहे हैं। पिछले कुछ हो वर्षो मे कितने ही हस्तलिखित ग्रंथ और चित्र श्रादि कवा- ड़ियों और व्यापारियों द्वारा इधर-उघर कर दिये गये हूँ। ऐवी स्थिति में हमारा यह वहुत बडा दायित्व है कि इस अमूल्य निधि को काखकबलित होने से बचायें। इस दिल्ला में किये गये प्रयत्न साहित्य और इतिहास के लिए बहुत हितकर होगे, क्योंकि इस काल की छोटी से छोटी रचना का भी कई दृष्टियों से महत्व है । राजस्थानी साहित्य की कुछ आदिकालीन रचनाशों पर हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखको ने हिन्दी की प्रारंभिक रचनाएँ मान कर भापा और रचना- प्रणाली की दृष्टि से विचार किया है। परन्तु .उनमे से कई विद्वानों का अ्रध्ययन एकागी और अपूर्ण रहा जिससे कई एक भ्रामक धारणाएँ प्राचीन राजस्थानी के सम्बन्ध में भी हो गईं। बीसलदेव रासो, आदि के अतिरिक्त कितना विज्ञाल साहित्य, विविध शलियो भे, इस कालमे लिखा गया इसकी श्रोर उनका ध्यान नही गया । प्राचीन राजस्थानी को हिन्दी के झादि काल के अतर्गत लेकर उसे चारणो तथा भाटो द्वारा रचित प्रशस्ति-काव्य मात्र मानने से भी उसकी वास्तविक विश्येपताश्रो की उपेक्षा हुई। वस्तुस्थिति यह है कि राजस्थानी का इतमा विश्ञाल और विविधता पूर्णों साहित्य यहा की अपनी ऐतिहासिक व सास्क्ृतिक पृष्ठभूमि भे भापा व शलीगत विशेषताओं को लेकर अवतरित हुआ है कि उसका अलग से गहन अध्ययन किया जाना आव- दयक है। ऐसा क्ये बिना हम श्रपने देश की एक बहुत महत्त्वपूर्ण साहित्य- परम्परा का समुचित मूल्यांकन नही कर पायेंगे । इसी उद्देश्य से हमने परम्परा के भाध्यम से काल-विभाजन के अनुसार कुछ महत्त्वपूर्ण सामग्रो प्रस्तुत करने की योजना बनाई है । उसी दिशा मे यह विनम्र प्रयास भी किया गया है। प्रस्तुत अक में कुछ अज्ञात साहित्य और विवा- दास्पद रचनाओं पर हो प्रकाश डाला जा सका है | श्राज्ञा है यह सामग्री राज- स्यानौ सादित्य के इतिहास की जानकारी के अलावा राप्ट्रभापा हिन्दी भौर श्रल्यान्य सम्बन्धित मापाग्रो के प्राचोन साहित्य कै श्रध्ययन मे भी उपयोगी सिद्ध होगी । इस अंक के विद्वान छेखको के सहयोग के लिए में उनका आभारी हुं) आशा हूँ भविष्य की योजना को कार्यान्वित करने में भी उनका यह बहुमूल्य सहयोग अवश्य मिलेगा ॥ = --नीरायरसिह मादे




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