सामाजिक अनुसंधान विधियाँ एवं क्षेत्र प्रविधियां | Samajik Anusandhan Vidhiya Evam Kshetra Pravidhiya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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परिचय 7 2 निष्पक्षता की सम्मावना (एडम पणमयी) सामाजिक अनुसधान में प्रनुसवानकर्ता और विषय दोनो हो सम्मिलित हैं। कियो विषय की जानकारी तभी सम्भव है, जब अनुसधानकर्ता निष्पक्षतापूर्वक उसका प्रध्ययन करे । उसकी स्वयं वी भावनाएं, पूर्व धारणाएँ तथा व्यक्तिगत विचार पझनुस्धान में परिलक्षित नही होने चाहिएँ । प्राय देखा गया है कि अनुसधानकर्ता रपि निरीक्षण झौर लेखन में तटस्थ होता ই? वह वस्तुस्थिति का अबलोकन कर, उसके विभिन्न पहलुप्रो की वारीकी से छातवीन कर, निर्णेय पर पहुंचने की कोशिश करता है। 3 सामाजिक घटनाप्रों में कृमदद्धता (कल्वुप्रकल४ वी 990151 ए४४7115) -- सामाजिक घटनाएँ अनायास नही घटती हैं॥ इन घटनाप्रो के पीछे निश्चित नियम व क्रमबद्धता होती है। यदि उनमे क्रमबद्धता न हो तो हम किसी भी प्रकार उनका पूर्वानुमान नही लमा सकते \ यह्‌ व ता विलकुल गलत होगा कि प्रत्येक घटना एक दूसरे से सर्वया स्वतत्र और पृथक्‌ है। जैसे ही हमे क्रम का पता लगता है, हम सही रूप में भविष्यवाणियाँ कर सकते हैं । 4 श्रादशं प्रतिरूपो কী আফলানলা (90551811815 ग 10681 (503) इसमे सामाजिक तथ्यो को ग्रादश प्रतिवू्पा मे चाँठा जा सकता है । इन आदर्श प्रतिरूषो के अन्तर्गत कुछ व्यक्तियों का प्रष्ययत कर उनकी विश्येपताओशों को सभी बर्ों पर लागू किया जा सकता है। यदि हम मजदूर वर्ग, विद्यार्थी वर्ग या स्त्री वर्ग कोते तो हमे इन पृथक्‌ पृथक्‌ वर्गो मे उनकी रचियो के सम्बन्ध मे, व्यवहार व विचारों के सम्बन्ध में काफी समानता एवं सामजस्य मिलेगा। इस प्रकार एक ग्रौसत मजदूर या स्त्री का अध्ययन समस्त मजदूर समुदाय या स्त्री वर्ग के ग्रणावगुणों का शान करा सकेता है। 5 निदर्शन की सम्मादना (?05८७ा॥।( ण $530ए०)--प्रतिनिधित्व- पूर्ण निदर्शन पद्धति के झाघार पर प्राप्त निष्कर्प समग्र वर्ग पर लागू किए जा सकते हैं क्योकि मानव समुदाय विद्याल है अत प्रत्येक व्यक्ति का सुक्षम प्रध्ययत और जानकारी विस्तृत रूप मे सम्भव नही है । प्रत निद्ेन प्रणाली को प्रयोग किया जाना झ्ावश्यक है जिससे श्रनुसधाने क्यं सुगम एव शौध्र हो जाता है 1 झनुसधान पद्धति को पढ़ने के काररय (0685905 01 50505 705 065০201 1১16670৭) झनुस्तधान प्रक्रिया भर तकनीकी एवं पद्धतीय क्षमता के मध्य घनिष्ठ सम्बन्ध हैं। भनुसघान कार्य की गहनता, सूक्ष्मता एवं परिशुद्धता को इष्टि भे-रखते हुए यह भझनिदायं हो जाता है कि हम इसका सवालन छुद्ध एवं सही ठग से करें ॥ इस बात को भावश्यकता विशेष रूप से प्रव अनुभव को जा रही है, जबकि सामाजिक विज्ञानो के प्रनुत॒धान कार्य पर वल दिया जा रहो है। सामाजिक-वैज्ञानिक [5028]




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