नाटक समयसार | Natak Samayasar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
642
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विषयसूची । ` ७
पृष्टांक एरक
उत्तम, मध्यम, अधम और सम्पत्तिसे मोह हटानेका
अधमाधम जीवोंका स्वभाव २३१३ | उपदेश २५७
उत्तम पुरुषका स्वभाव २३४ | क्क जनेसे मोद दटानेका |
-मघ्यम ,, 55 २३६ उपदेश १५८.
अघम 5, ১১ २३७ | शरीरम त्रिरोकके विटास
सअधमाघम्,; > २३८ गर्भित हे २५८
मिण्याद्धीकी जदयुद्धिका वणेन २४० | आत्मविरास जाननेका ।
मूढ मनुष्य विषयोंसे विरफ्त नहीं उपदेश २०९
होते २४१ | आत्मस्वरूपकी पद्िचान क्ञानसे
अक्ञानी जीवकी मूढतापर खग होती है २६०
जर ओर अधेका दात २४२ | मनकी चचर्ता २६१
अज्ञानी जीव वधनसे न खुल सनकी चचलतापर ज्ञानका
सकनेपर হাল दके সুনান २६२
स्मक्षानी जीवकी अबुद्धि पर मनकी स्थिरताका प्रयल २६३
आत्मानुभव करनेका उपदेश. २६४
आत्म-अनुभव करनेकी विध्रि. २६७
आत्मानुमवसे कर्मवघ नहीं होता २६६
मेदज्ञानीकी क्रिया २६७
বত रेड
अज्ञानीकी विपयासफ्तत्तापर दहशत २४०
जो निर्मोही है वह साधु हो. २४६
सम्यग्दष्टी जीवं आत्मस्वरूपरमे
„ का पराक्रम २६८
स्थिर होते ই १४६ | आठवें अधिकारका सार २६९
रिष्यका प्रश्न २.४७
पिष्यकी शकाका समाधान २४८ | কসর জা
जड़ और चैतन्यकी एथकता. २७० | प्रतिज्ञा २७०
आत्माकी झुद्ध परणति २७० | भगलाचरण २७०
शरीरकी अवस्था २५१ | सम्यग्त्नानसे आत्माकी सिद्धि
संसारी जीवोकी दक्षा फोल्डूके होती दै २७१
वैलके समान हे २५४ | सुबुद्धिका विंलास २७३
“ससारी जीवोंकी हालत २५६ | सम्यगकानीका महत्व २७४
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