कविवर परमानन्ददास और वल्लभ सम्प्रदाय | Kavivar Parmananddas Aur Vallabh Sampraday

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Kavivar Parmananddas Aur Vallabh Sampraday by डॉ गोवर्धननाथ शुक्ल - Dr Govardhannath Sukl

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रीरि कविवर परमानन्द ओर उनका साटित्य पिपम प्रवेश हिस्दी साहिस्य के इतिहास मे पूर्ष मध्य पुन जिसे भक्तिताल' कहा जाता है उसे यदि हिन्दी प्राहित्प का 'स्व्शमुप' बहे तो प्रमुच्रितर होमा। विपय री हह्टि से इस युम মল মঘধি थैदििप्य भा प्रमाद बा फिर भी निराकार साकार भक्ति को लेकर जिस उच्च कोटि के साहित्य की सृष्टि हुई बह प्रद्धितीय थी । साहबर्य भौर सौरदर्य ঘি ভতম্প পন্য प्रेम बी सृष्माविमृदम भौर गहम सै गहन माजामुमूतिमों के समाधिमय क्षणों मं जिस चिरतस मानवीय रहस्य का ब्रश्पाटन भौर उसभो वरणणमय प्रमिष्यक्ति हिली साहिएप मे जैसी इस युग में हुई बैसी ते दो उससे पूर्थ द्वो पाई थी प्रौर भ भ्रापे अलवर फिर रामब हो सशी। श्य मार भागना बी प्रमिष्यक्ति का सबुण भक्ति के पत्रिज्ष प्राचीौर मे सुरक्षित रफदर उसे জী बिरम्हतता इन भक्त बबिया से ही बैंसी प्रय गिसा सानबीय भावता को कोई बबि या साहिएयगार पाये अपर ह दे थाया । धमुग भक्ति धारा गो जीबत-दान देकर पुष्ट प्रबहमाम बनाते का भ्रययों शो सभी भक्त कबियों शो है डिस्लु पुष्टिमार्णीय जक्त कबियों को विशेष रूप से है। क्योंकि उसकी एजास्श प्रभुपण सघुर भागता से जिस ररस साहित्य का सर्जन हियां बह बिब पाहिए्प मे पद्वितीय ६, हन दृष्शोपासर पुष्टिमार्यीय हणियों से भौ पड्छाप के बढिया बा रदान हो प्रापम्त ठेवा है झ्राहम्दपर्द सीसा पुष्पोत्तम मगदाद दृष्णचस्ट् भरी ধীশল টধা'ম ছল মাল सहासुभाष। वा भाज-सागर घारो याम्र शरगायित रहता था + धपती भाजगा के दिख्योस्माइपप शएणों पै ये लोग जिन सरण संगीवन्मप पद वर सृह्ि करो मे धपनों भाषनिषि के बाएं पदुरत पे । एस *“पहराप्यनार शहातुजाबा से बजनाहिय इतना श्वीन्‍सपस्स पारि पन्य মালার जायाभों का साहिय क्द्ाबित्र्‌ ही उतता बैंपडगारी हुपा हो। बास्तत मे दिश्स वी মালার নগদ एतायरी पे हिग्दों शाहिस्य ही इतती थ्रीशृद्ि हुई दि उस्तष्ा মনা कष्या स्नुत कृष्ना टमि है) प्रप्टवाध्यवार एस घार ললাঘী ঈ धाप्या पर লাঠি एम बणापर মতের ঘা গস घष्टयारं गौ জ্ষালো লী ঘাট कक गवर्‌ १६९२ कोला বাপু एसवी कांस्य बारा ४? बर्ष पूर् से हो प्राश्म हा गई थी। पनरव प्रपम ऐो सागर हो गददू ११२०-२१ में हो बरणाब्‌ बा साशान्युयानगग बप्त के सा फट घ। হল গা লাশ লগ তই লব १६४२ शष भा 3 बर्षों बा মুন जिस [বশ শাখ বাধ না লর্খন ঘ दशा उसे হযে ব্যস্ত ही লঘদশা হা । बयोहि से शो. उसने पृ হী ঘীত ন তলর খাল তা (শী লু লশিল বা শাদা চা ০০১




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