मृच्छकटिक शास्त्रीय सामाजिक एवं राजनीतिक अध्ययन | Mrichachhakatik Shastriya, Samajik Avam Rajnitik Adhyaya

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Mrichachhakatik Shastriya, Samajik Avam Rajnitik Adhyaya by डॉ. रमानाथ द्विवेदी - Dr. Ramanath Dvivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(ग) णप 2 = मृच्छक टिक का कपौरण् कमक में गछकार, युण, रीति, बल्लेक्ति एवं ध्वति का समस्दय मुच्च कटिक मे अरुकार पितग मुष्छकरिड़ में घ्वतिध्रमम मृच्छकट्टिक हैं बल्ेक्ति पृष्यकटिफ में बुसियों का झोचित्व इश्शियों के रो रूप केशि धैष। ठपमाप्ररिकय एव बानत्रग्धंस कम एठत्ममबन्धी मत मृच्छकटिक में कैधिको ब॒ि, सादुयं पुल एब ह्रेमछ रसों का पिदेचत मृष्डष्टिष मे मारमरी पृ्ि, भोजम जयदा कठोर रो का पिपैषम मूषकटिक मे भादू शेषो रा হিহজে वोप विफ्रेपय वृष्ठोय प्याय मूछयुरुहिक : सामाजिक प्रप्ययन मृक्कफटिक काछ ही प्ागिक एद शआपिक समस्‍याएँ (क) पापिष्ठ स्विति (प्र) वैदिक चमं (म) गौड घर्ज (ष) बर्ष स्पगस्पा एबं प्रद्माग भाठि (ष) गो षो महत्ता (४) पृष्छकटिक में ऋभविश्यास हपा शडून विद्यार पर टिप्पणी (9) ब्योतिष में विच्य জাঘিক চিনি (९) धमृद्धिशाक्निता के प्रतौद (ध) इिकार्य एड मुचस्यामो (प) बापिन्य महव वपा बिष्टात (ब) कणा बौर प्यवष्ठायो दी कषरा अष्यात्य सिषेध হু १11० (११ १११ ११६ ११७ ११८६ ११८ ११९. ११९ १९० १२६ षरे १२५ १२८ १११ ११८ १३९ ह्य्‌ १४५ १५६ १९१ १६६




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