भारतीय राजस्व | Bhartiya Rajaswa
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
95 MB
कुल पष्ठ :
241
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जनिक ऋण--भारत पर कम्पनी के युद्धों का भार--कस्पनी के
कारोबार हा भार--कम्पनी के पुरष्कार का भार-सिपांही
विद्रोह का भार--पलियामेन्ट का समय--ऋण का व्योरा-सूद्
का हिसाब--हकांग्रेस का प्रस्ताव, देश भावी ऋण का जउत्तरदाता
नहों--ऋण दूर किस प्रकार हो ? पृष्ठ १७9-१६०
ग्यारहवां परिच्छेदः; प्रायिक स्वराज्य ।
, . स्थानीय कार्यो की. विशेषता--स्थानोीय और अन्य
राजख म भेद--लानीय राजख का आदर्श स्थानीय
स्वराज संस्थाओं और सरकार का राजख--सम्बन्ध-
स्थानीय करां का विकवेचन् ~ सारतवषं की स्थानीय स्वरी ।
+स्यूनिसिपेलरटियां और कारपेरेशन-कार्य--आमदनी के
श्रोत---सरकारी सहायता--संख्यों और आय व्यय--आओय व्यय
को महू -जन संख्या--कर की मात्रा--नोटीफाइड परिया--
बो्डों का आय व्यय--पोरं युषट-स्थानीय राजख ओर सुधार
योजना} | भ 7৭ पृष्ट १६०.२०८
दसवां परिच्छेद, स्थानौय राजस्व ।
हमारी. आधिक परांधीनता--इस का परिणाम; आर्थिक
डुदंशा--भार्थिक खराज्य की आवंश्यकता--स्वराज्य और
$ प्रार्थिक पृष्ट २०८-२१४
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