भारतीय राजस्व | Bhartiya Rajaswa

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जनिक ऋण--भारत पर कम्पनी के युद्धों का भार--कस्पनी के कारोबार हा भार--कम्पनी के पुरष्कार का भार-सिपांही विद्रोह का भार--पलियामेन्ट का समय--ऋण का व्योरा-सूद्‌ का हिसाब--हकांग्रेस का प्रस्ताव, देश भावी ऋण का जउत्तरदाता नहों--ऋण दूर किस प्रकार हो ? पृष्ठ १७9-१६० ग्यारहवां परिच्छेदः; प्रायिक स्वराज्य । , . स्थानीय कार्यो की. विशेषता--स्थानोीय और अन्य राजख म भेद--लानीय राजख का आदर्श स्थानीय स्वराज संस्थाओं और सरकार का राजख--सम्बन्ध- स्थानीय करां का विकवेचन्‌ ~ सारतवषं की स्थानीय स्वरी । +स्यूनिसिपेलरटियां और कारपेरेशन-कार्य--आमदनी के श्रोत---सरकारी सहायता--संख्यों और आय व्यय--आओय व्यय को महू -जन संख्या--कर की मात्रा--नोटीफाइड परिया-- बो्डों का आय व्यय--पोरं युषट-स्थानीय राजख ओर सुधार योजना} | भ 7৭ पृष्ट १६०.२०८ दसवां परिच्छेद, स्थानौय राजस्व । हमारी. आधिक परांधीनता--इस का परिणाम; आर्थिक डुदंशा--भार्थिक खराज्य की आवंश्यकता--स्वराज्य और $ प्रार्थिक पृष्ट २०८-२१४




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