कवि निराला | Kavi Narala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
949 MB
कुल पष्ठ :
262
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका ; रहस्यवाद छाया वाई ७
बाद जनता का ध्यान विशेष रूप से इसी अंग ने आकषित
किया | नई शैली और नई अभिव्यंजना के कारण लोकप्रिय
होने पर भी इसको सरलता से समझता नहीं जा सकता था,
इसलिए आधुनिक काव्य को कई व्यंग्य-प्रधान नाम दिए गए।
अस्पष्टता के कारण इसे 'छायाबाद! भी कह दिया जाता है
ओर 'एरहस्यवाद' इस काठय का एक विशिष्ट अंग मात्र हैं ।
वास्तव में छायाबाद में छाया” अंश की प्रधानता थी
( छाया > अस्पष्टता ) | इस छाया” के कई कारण थे, कुछ का
सम्बन्ध विषय से था, कुछ का टेकनीक से | पहले इस विपय
को लेंगे ।
छायावाद काव्य के विषय थे ईश्वर की रहस्यमयी सत्ता,
उसके प्रति आत्मसमपंण, विरह, मिलन, प्रम, प्रकृति, नारी-सौंदिय,
राष्ट्र, मानव | विशेष नवीनता नहीं; परन्तु इन सबका आधार
था सहजनुभूति | काव्य में चिंतन! ओर वोौद्धिक क्रम को
कोई स्थान नहीं | फलतः इन सब विपयों पर जो लिखा गया,
वह नवीन; परन्तु जनता को अस्पष्ट था। सब छाया-छाया;
स्थून कुछ भी नहीं | स्त्रयं नारी के चित्रण भी स्थूल नहीं--
भावना-प्रधान उड़ते-उड़ते | छायाबाद'! एक प्रकार से महावीर-
प्रसाद द्विवेदी के युग ( १९००-२० ) के नीति-अ्रधान, शुष्क,
इतिवरत्त।त्मक काव्य के विरुद एक सजीव प्रतिक्रिया थी । दूसरे
प्रकार से उसे अंग्रेज़ी और बँगला काव्य का प्रभाव एवं पलायन-
वादी, व्यक्तित्व-निष्ठ कबियों की 'बहक' कहा जा सकता है।
वास्तव में किसी भी युग के काव्य को अनेक दृष्टिकोणों से
समना आवश्यक हाता है। छायावाद” के भी अनेक पहलू
थे | उसका 'रहस्यवादी” अंश रवीन्द्रनाथ की गीतांजलि' और
कबीर एवं बुद्ध के दुःखबाद से प्रभावित था | उसकी सूक्त्मानु-
वेषण की प्रवृत्ति पिले काव्य के प्रति विद्रोह लिये थी। उसकी
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