महाविद्यालयीय अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों की शैक्षिक अभिवृत्ति, सामाजिक मान्यताओं एवं समस्याओं का एक अध्ययन | Mahavidyaliya Anusuchit Jati Ke Vidyarthiyon Ki Shaikshik Abhivritti, Samajik Manyataon evam Samasyaon Ka Ek Adhyayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[2 ] चेतना ने निर्बल वर्गों की स्थिति को काफी प्रभावित किया। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात भारत सरकार ने संविधान द्वारा अनुसूचित जाति के लोगों के लिये अनेक कल्याणकारी योजनाएं तथा औपचारिक प्रबन्ध किये जिनके माध्यम से जीवन के सभी अवसरों में समानता व्याप्त हो सके। यह सर्वविदित है कि शिक्षा सामाजिक परिर्वतन का एक शक्तिशाली साधः; हं। समाजशास्त्रियों ने सामाजिक परिर्वतन कें जो प्राकृतिक ओर सांस्कृतिक घटक बताये हैं उन सबके विकास का मूल कारण शिक्षा ही होती है। अगर हम विचार करें कि मनुष्य विकास कैसे . करता है ? तो सबसे पहले वह अपनी जाति की सामाजिक चेतना में भाग लेता है और उसकी भाषा, रहन-सहन और खान-पान के तरीकों, रीति-रिवाज और मान्यताओं, विश्वासों, आदर्शों और मूल्यों से परिचित होता है, इस सबके ज्ञान के लिये सभी भी सभ्य. समाज औपचारिक शिक्षा की व्यवस्था करते हे। इससे मनुष्य का मानसिक विकास | होता है। समाज में रहकर वह अनेक अनुभूतिर्यौँ करता है । इन्हीं अनुमूतियों को प्रबल 3 बनाने के लिये सरकार ने कल्याणकारी कार्यक्रम अपनाए | जिनके द्वारा अनुसूचित শখ जाति के लोग शैक्षिक, आर्थिक और राजनीतिक आरक्षण प्राप्त कर सामाजिक जीवन के विभिन्‍न पक्षों जैसे- शिक्षा, व्यवसाय, राजनीति आदि मे समानरूप से शामिल होकर शोषण, असमानत्ता तथा आत्मग्लानि के भाव से मुक्त हो सक, शिक्षा ही इस समाज ` | का उन्नयन कर सकती है । शिक्षा विकास का प्रथम सोपान है, शिक्षा ही मनुष्य को योग्य बनाती है, समर्थ बनाती है। व्यक्ति में कौशल एवं जीवन यापन के साधनों का विकास करती है, शिक्षा के द्वारा व्यक्ति जो चाहे वह प्राप्त कर सकता है। वर्तमान अध्ययन यह ज्ञात करने का प्रयत्न करता है कि चित्रकूटघाम मण्डल के मुख्यालय बाँदा जनपद में महाविद्यालयीय छात्र-छात्राओं की शिक्षा क॑ प्रति क्या अभिवृत्ति है 2 उनके परम्परागत सामाजिक आर्थिक ढांचे तथा समस्या ग्रस्त १ जीवन का उनकी शिक्षा पर क्या प्रभाव पड़ा है ? शिक्षा के द्वारा उनकी परम्परागतं |




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