ग्राम - सुधार | gram sudhar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
149
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)याम-सुधार
[ स्थान--सुधारक प्रसाद की कुटिया । गाँव के बहुत से भादमों बेठे हैं
सुधारक प्रसाद--महतो ! आज तुम दिन भर न दीख पड़े ।
सुगन महतो--क्या करें भेया, आज न मालूम किसका मुँह
देखैकर उठे थे कि सबेरे सबेरे धुरहु साहब से काम पड़ गया!
पहले सर्ले कुछ खबर न थी, हमारे ही दरवाजे पर आ घमके । क्या
कहें, हम तो बड़े फेर में पढ़ गए।
सु० प्र०--भाई ! यह घुरहु साहब कौन हैं। ओर किस फेर
में पड़ गए९
सु० म०--यह सरकारी अफसर ओर एक हाकिम ही है।
जहाँ जहाँ घूर-गन्दगी देखते हँ--हटवाते फिरते हैँ। हमारे
सकान के सामझ्ले भी बहुत सा धूर पड़ा था-महल्ले भर के
लोग भी यहीं फेंकते थे भोर हम भी छोड़ देते थे फि अखाढ़
में खाद के काम आयेगा। कुछ फायदा ही होगा-पर आज
लेने के देने पड़ गए। बहुत बिगड़े ओर तुरन्त साफ करने का
हुक्म दिया- नदीं तो फोजदारी चलार्वेगे । क्या करं, एक घंटे
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