श्रीरामकृष्णलीलामृत | Shriram-Krishna-Leelamrit

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्रीरामहृष्णलीलामृत १-श्रीरामऊष्ण को वेदान्तसाधना _ ( १८६५-६६ ) ८८ न्यांगय ने वेदान्त का उपदेश दिया ओर तीन दिन में ही मुझे समाधि लग गई। माधवी छता के नीचे मेरी उस समायि-अवस्था को देखकर वे अवाक्‌ रह गये। कहने छगे “अरे ! यह. क्या है रे?” ओर तत्न तो वे मुझसे जाने की आज्ञा माँगने छंगे। यह सुनकर मुझे मावावस्था प्राप्त हो गई ओर उक्ती अवस्था मंम बोढा, मुञ्चे वदान्त का बोध हुए बिना आप यहाँ से नहीं जा सकते । ” उसी समय से में रात-दिन उनके समीप रहन छगा ओर लगातार वेदान्त की ही बातें चलने छगीं। ब्राह्मणी बोली, “ बाबा ! वेदान्त मत सुनो । भक्ति का ज्हास होगा। ” “ जिस अवस्था में पहुँचकर साधारण साधक वहाँ से वापप्त नहीं छोट सकता तथा निम्तम इकीसप्त दिनों में ही. भा. २ रा. ली. £




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