तीन दिन | Teen Din
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
192
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about चन्द्रगुप्त विध्यालंकर - Chandragupt Vidhyalankar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तीनि १७
'कितनो बकाया को होगो। मैने दुनिणा भर को मलक उड़ाई, राजबारों
के अपने दोस्तों की गज्ञाह उड़ाई और सद से वह कर थपतो मज़ाक उड़ाई ।
स्रा की बुछ जातियों के बारे में वेदकृफ़ो के जो किस्से सुर ঈ নর
रौन शिप भेने पते वारे पे उन पुनाएु 1 मगर में जानता था
कि मेरी कोई चाह इसलिए क्षारगर रहीं हो रहो हू कि मेरे मेजवाल की
तत्या कौ धाह रौ ह ¦ मेरी वाहं सुतर रह मुझकराते तो थे,
मगर इस मुस्कराहुट में उनको वेदना करते भोर भी अधे भरीभूत टौ
জী হী। शतती बढ़ो पराणद शायद हो को ओर मेरे पले पदौ हो ।
हस्त नई उसहन के सस्मूत में लावरयकुसार को एकदम ही भूठ गण था।
हम दोनों पैर से लौटे तो दोपहर के दो के बाले थे। मेरे धार
के प्रणाह में हमारी पैर मे जाने कितनी हार हो गई थो)
চদা ভান के कमरे में पुँचे। भोबनागार का दरवाज़ा
खोलने से पहले जब देरे ते उसे तटखटाणा, तो हमें स्वभावतः माह हुआ ।
प्रु मरे के भीतर जिह हमने थो गृ दा, सते हम रोगो के
अष का प्रावार हूं रहा। अपो दन म शना घललदायक भाय
গাছে দাহ হী দুই हुआ हो ।
मेरे भेजबान और मेने देहा कि इर्दिरा और জানলা ভার ফী
मेज के निकट पा पास दैठे है। उनके चेहरों पर दृद्न या विषाद को छाया तक
भ नहीं है और वे इतने तल होकर आपस मे बातें कर रहे है कि द केवल
उनम कये प्र से ६ एरसमाू रह ुनो, यपु हमरे षण
भोतर छले भने तक का भ बोध उद ह हुआ। बेरे ने बताया कि ये
सेल प्त प्म दे यहं ६ । फे क शप तक पै सनो
बौ मचे दो नौ पर चप्वाप ह प्रातराक् रेते रहे। प्रातरा्म के
याद देश भीदर तो रहीं गया, पर बाहर हो से उस ते उन दोनों को ফু
पव নী हुए भी सुवा था, इसके शाद दोनो ए दरे फो ते
श्न दे दए बरमौ छ गई सौर अद का देर हे वे दोनों एक
एषे 9 निश दै कर गाप म वाते करे में पल है।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...