मध्यकालीन भारत की सामाजिक अवस्था | Madhyakalin Bharat Ki Samajik Aur Arthik Awastha

Madhyakalin Bharat Ki Samajik Aur Arthik Awastha by अब्दुल्लाह युसूफ अली - Abdullah Yusuf Ali

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पहला व्याख्यान सुसिका हिन्दुस्तानी एकेडेमी ने अपनी व्याख्यान-माला की आरभ भारत के मध्यकालीन इतिहास से किया है श्रार इस उद्देश्य के लिए मुझको निमंत्रित करके जा सन्मान प्रदान किया है उसे मैं पूर्ण रीति से अनुभव करता हूँ । सकेडेमी श्ार उठू इस एकेडेमी का आ्रारंभ स्वत काल की गति का दपंण है । जेसा कि झ्रापको मालूम है मेरा नाम बरसों से इन प्रान्तों में उर्दू भाषा श्र साहित्य की खेज श्रौर व्याख्या से सम्बद्ध रहा .. है। जब मैं हैदराबाद में था तो मुझे वहाँ के उदू-सम्बन्धी आन्दोलन झार उसमानिया विद्यापीठ के सम्बन्ध में आरंमिक उद्योगों में भाग. लेने का गौीरव भी प्राप्त हुआ । उस समय वहाँ उल्था का एक विभाग था जा अब भी विद्यमान है । उसका उद्देश्य यह है कि अपनी भाषा को ऐसी साौलिक रचनाओं श्र प्रामाणिक ग्रंथों के उल्थों से सम्रद्ध किया जाय जा विद्यापीठ में उदू भाषा द्वारा अध्ययन और अध्यापन के लिए उपयुक्त हों। मैंने उनके लिए एक छोटी ... सी पुस्तिका लिखी थी जिसका उद्देय उदू में लिखने के श्रोर छपने _ के ढंग को सुब्यवस्थित करना था ।




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