मध्यकालीन भारत | Madhyakalin Bharat

Madhyakalin Bharat by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
3 नारकोट राजा घोर जयपोंट विनयादिह्य थे सणो के कारण और मगध में जराजवतता फैल गई थी। बस अराजकता से वहा मे लोगों ना जीवन विपद्ग्रस्त हो गया को सूयवणी मानता पाल राजायी के समय म सगाल ने सूव उन्नति की 1 गापाल की धमपाल बडा यदास्वी और विजेता हुआ । इसने छेगभेग ३२ वर्ष तक शज्य किया। भर्मपाल नागभड डिततीय आर गोविन्द उतीय धमेंपाल की उत्तरी भारत में पुन एन उतर में हिमालय और दक्षिण मे विध्याचछ तक गाम्ाज्य न फँरा दिया था । कमीज ये राजा इन्द्रायुध सुधग्या इन्द्राज को गद्दी से उत्तार कर चससे अपने पक्ष के एक व्यक्ति चकायुव पिन्तु उरी उत्तरी नारा वी विजय स्थायी ने हों सकी । भिनमाल के शुजर-प्रतिहार राजा नागभदूट धमपाड़ और को हराकर कन्नौज पर जपना अधिवार नर छिया 1 पर इसीससय दक्षिण के राप्टकूट राजा क्लौधने




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now