नये रंग : नये ढंग | Naye Rang Naye Dhang
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
137
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राजेन्द्र बान
एक वर्ष और पूरा हो गया जो दूसरा शुरू हुआ हैं वह भी एक दिन
इसी तरह पूरा हो जायेगा । और फिर तीसरा, फिर चौथा”!
पुराणोंमें कहा है कि स्वर्गमें देवताओंकी अवधि ज्यों-ज्यों चुकनेको
आती है, गलेकी माला मुरझाने लगती हैँ । एक-एक फूल कुम्हलाता है और
हृदय मुरझाता जाता है । एक दिन सब राज-पाट, वेभव, यशोगान समाप्त
हो जाता हैं। पर, फिर उनकी आयु भी तो समाप्त हो जाती है। जन-
तन्त्रवादका यह् कंसा अभिशाप ह कि केवल राजपाट, वभव ओर यशोगान
ही समाप्त होता हं, व्यक्ति समाप्त नहीं होता ?
जब रजामोका एकंछत्र राज्य होता था, तो वे अपने पुत्रको राज्य-
जो वे स्वयं न कह पाये ! ११
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