नुकती ढाणान | Nuktidanan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
653 KB
कुल पष्ठ :
112
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१
माटी के ना हूँ स दीव वी झा खिमता है के वो पभ्रधार न झापव
हेंटे दाब कर रां, पण मिनख के सिर पर तो अग्यान को अधारो हर वगत
चद्यो ई ग्वे ।
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मिट्टी के नह से दीपक की यह क्षमता है कि वह प्रेयेरकौ
प्रपने नीचे दवाकर रसता है। लेकिन झत्ान का भ्रधियारा तो हर समय
मनुष्य के सिर पर चला ही रहता है ।
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