संघर्ष | Sangharsh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
192
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)संघर्ष ११
लगा था। यज्ञसेन क्षुरत्र को कटकारकर गोवत्स के पीछे दोड़ा ।
गोवत्स भागा । जब तक उसके पीछे भागता यज्ञलसेत माधवी-
निकंज की आइ में हुआ क्षुरप्र ने दूसरी गाय का वत्स निरगल
कर दिया। वह भी माँ के स्तनों से आ लगा।
तुरम विज्ञा उठा--यज्ञसेन, यज्ञसेन, विडाल ने दूध में मुँह
लभा दिया 1 दौढो; दौडो |
विडाल दूसरी गाय का बढ़ा था जिसे चुरत्र ने छोड़दिया
धा] यज्ञसेन ते प्यार से बडे का नाम 'विडालरखा था! यज्ञसेन
ने समझा कि बिल्ले ने दूध के मटके में मुँह डाल दिया। हाथ में
आया बछड़ा छूट गया और वह उतावली मेँ पीठे दौड़ा । परन्तु
मटके क समीप माजार को न देख उसे हाथ आए वत्स के छूटने
का स्मरण आया और उसने सकोप चुरप की ओर देखा ।
ज्ुख्र ने गाय की ओर संकेत कर कहा--बुद्धिश्रष्ट आाह्मण
यज्ञसेन; ररे उधर देख उधर-छृष्णा गो की ओर | तेरा प्रिय
विडाल तुमसे भारे का प्रतिशोध ले रहा है ।
यज्ञसेन ने अकचकाकर कृष्णा फी श्नोर देखा শী पलक
मारते वह उसकी रोर दौड़ा । कृष्णा हाल की व्याह थी । यज्ञ-
सेन को अपनी ओर बढ़ते देख वह इस पर फपटी । यक्षसेन
पीछे की ओर भागा पर उसका पॉव गोबर पर पढ़ा और वह
तुरन्त पृथ्वी चूमने लगा ।
“हाय ! हाय |” करता হস हसी रोके यज्ञसेन की सहायता
को बढ़ा ।
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