बृन्दावनलाल वर्मा उपन्यास और कला | Brindavan Lal Varma Upanyas Aur Kala
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
45 MB
कुल पष्ठ :
317
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)स वृन्दावनलाल वर्मा--उपन्यास और कला
परिचय, जिन्दे की लाश, आदि २!! उपन्यासों की उपयुक्त सूची से ही विषयों का
स्पष्ट आमास मिल जाता है। सभी उपन्यायों में प्रायः प्रेम रोमांस की धारा बहती .
हुई देख पड़ती है। बीच २ में सामाजिक जीवन के कुछ यथार्थ चित्र भी मिलते जाते
हैं। लगभग सारे उपन्यायों में प्रेम कथा की व्यापकता का मूल करण यही है कि
गोस्वामी जी उपन्यास को प्रम का विज्ञान! मानते थे! “सुखशबंरी? उपन्यास के
प्रारम्भ में उन्होंने लिखा भी है---
“प्रेम और प्रेम तत्व को सभी चाहते दँ पर इसका उपाय बहुत कम लोग
' जानते होंगे । प्रेमिक्र तरेम पनिके लिए व्याकुल तो हते है, सभी अपने लिए दूसरों
को पागल करना चाहते है पर अभी तक इसका उपाय बहुतां ने नहीं जाना है । इसका
अभाव केवल उपन्यास ही दूर करता है इसीलिए प्राचीनतम कवियों ने ओौर सांप्रतिक
य॒रोपीय कवियों ने उपन्यास की सृष्टि की । जो बात मूठ सच से नहीं होती, तन्त्र, यन्त्र.
नहीं बनती वह प्रेम के विज्ञान 'उपन्यास? से सिद्ध होती है ।”
अपने इस द्रष्टिकोणश को अपनी रचनाओं में उन्होंने चरितोथें भी किया।
सामाजिक उपन्यासों मे तो. गोस्वामी जी एक अंश तक कुछ सफल भी रहे पर
ऐतिहासिक उपन्यासों के क्षेत्र में उन पर सबसे अधिक आक्तेप हुए। आज्नेपों के कारण
भी थे ! ऐतिहासिक उपन्यासों में इतिहास की जो छीछालेद्र गोस्वामी जी ने की
वह उनका सारा महत्व नष्ट कर देती है। ऐतिहासिक उपन्यासों की इस दुगति का
मुख्य कारण यही है कि गोस्वामी जी ने इतिहास से कथानक तो चुन लिया पर
ऐतिहासिक तथ्यों की ओर से वे जानबूक कर उदासीन रहे । अपनी कल्पना का
चमत्कार इन उपन्यासों में भी उन्होंने जी भर कर दिखाया ! दारा शिकोह जैसे चरित्र
पर भी कांली स्याही पोत दी । देश काल की ओर भी गोस्वामी जी ने बिल्कुल ध्यान
नहीं दिया इस कारण अनेक अस्वाभाविक घटनाओं की रुष्ट भी हुदै) कने का
तात्पयं यह है कि गोस्वामी जी के इन उपन्यासों को ऐतिहासिक नहीं कहा जा सकता
कारण उनमें इतिहास का कथानक होते हुए भी, कल्पना का ही राज्य हैं जो इतिहा
के साथ बिल्कुल न्याय नहीं करती ।
इस सम्बन्ध में एक बात और उल्लेखनीय है । गोस्वामी जी ने अपने ऐतिहासिक
उपन्यासों में जो भूले की हैं, कल्पना की जो. उड़ान भरी है, वह. सब जॉन. बूस कर
ही ! . वे जानते थे कि इससे उपन्यास की ऐतिहासिकता को. आधात पहुंचेगा परन्तु
उन्होंने इसकी ओर ध्यान न दिया ! “तारा! ( जो उनका. सबसे असिद्ध उपन्यास है ) की
भूमिका में उन्होंने अपने इस द्रष्टिकोण को स्पष्टतः सवके सम्मुख रख दिया है।.. वे
कहते हैं---“हमने अपने बनाये उपन्यासों में ऐतिहासिक घटना को मौण और अपनी
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