धम्मपद | Dhamm Pad

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Book Image : धम्मपद  - Dhamm Pad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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यमकवग्ग ६ सम्मप्पजानो सुविमुत्तचित्तो । अनुपादिथानो इध वा हरं वा, स॒ भागवा सामञ्जस्स होति ॥२०॥ ( अद्पामपि संहितां भाषमाणो - धर्मस्य मचत्यनुधमेचारी । शमं च द्वेषं च प्रहाय मोह सम्यक्‌ प्रजानन्‌ छविसुक्तचित्तः । श्नुपाददन्‌ इह वाऽपुत्र वा, ख भागवान्‌ श्रामण्यस्य मवति ॥२०॥ ) चाहे कोई भले थोड़े ही अन्थों का पाठ करने वाला हो, किन्तु धर्मा- जुकूछ आचरण करता हो, राग-हं प-मोह को छोड़ सचेत और सुक्त चित्त जाला हये तथा इस लोक या परलोक कीं भी आसक्ति न रखता हो, तो चह ( यथार्थ मे ) सन्यास त्रत का अधिकारी है।.




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