शिक्षा प्रणालियाँ और उनके प्रवर्त्तक | Shiksha Pranaliyan Aur Unke Pravartak

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Shiksha Pranaliyan Aur Unke Pravartak by पं. सीताराम चतुर्वेदी - Pt. Sitaram Chaturvedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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८ १० ) सामने रक्खा गाया हे-अपना ख़चे आप निकाऊना- লক্ষ या ध्येय-बुनियादी तालीमक सात सालके कोसका ख़ाका | १, बुनियादी दुस्तकारी २. मातृभाषा ३. गणित ४, सम्राज़का इल्म ५, साधारण विज्ञान-क, प्रकृतिका पढ़ना-ख, वनस्पतियोंका विज्ञान-ग., पशु- विज्ञान-घ, शरीर-विज्ञान-ह, भारोग्य ओर सफ़ाईका इल्म-६, ड्राइंग ७- संगीत ८. हिन्दुस्तानी अध्यापकोंकी तालीम-अध्यापकोंकी तालीमका पूरा कोस-अध्यापकोंकी तालीमका छोटा कीस-चोथा हिस्सा ; निगरानी আহ इम्तहान-पाँचवाँ हिस्सा : इन्तज़ाम-वर्धा शिक्षा-योजनाका विश्लेषण-सामग्रीका विनाश-परीक्षाका भूत-नेतिक शिक्षाका अभाव- वर्धा-शिक्षा-योजनाकी चुटियाँ। बहु-शिल्प-विद्यालय ( पोलिटेकनिकल स्कूछ ), दिल्‍ली शिक्षाक्रम और विशेषता ( निम्व विभाग )--अन्य क्रियाएँ---उच्च _ विभाग--विश्लेषण । | ३० आदर्श रिक्चा-योजना . | २४-५३४८ शिष्याध्यापक पद्धतिपर गुरुकुल-पणाली--सिद्धान्त---मं डलू-विद्या- छय--मंडल-विद्यालयका कार्यक्रम-न्ग्रणाली । कन्यायोका पाल्यक्रम कन्या्ओंकी शिक्षा परिशिष्ट (१) । .. ३४९-३६८ , वेदिक आय॑ शिक्षा-प्रणाली | | | है कर्मवाद--अम्युद्य तथा तीन ए षणाएँ--सनोवैज्ञानिक सिद्धान्तोंसे भेद--धम किसे कहते हैं--काम-प्रवृत्ति-...अर्थ-प्रवृत्ति --मोक्ष-प्रवृत्ति-- सिद्धिकी व्यवस्था--वर्णःव्यवस्था-चारो वर्णौ कत्तव्य-आश्रम-व्यवस्था-- चारों आश्रमोंकी योग्यता और कत्तव्य-तीन ऋण : देव ऋण, पितृ ऋण, ऋषि ऋण-शिक्षा-विधान--गुरुकुर आश्रम १, स्थान, २. परेश, ३. पाव्यक्रम, ४. दैनिक कार्यक्रम ७, शि्चण-विधि, ६. शिक्षणव्यवस्था, ७. विनय ओर शील, ८, गुरु और शिष्य, ९, छुट्टी, १०. वर्ष-सन्न, ` 4१. दंड, १२. भ्ायश्चित्त, १३, वातावरण, १४. परीक्षा, १५. समा- चत्त न तथा गुरुदक्षिणा, १६, गुरुक पोषण-कन्याओंकी शिक्षा ।




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