पउमचरीउ | Paumchariu

Paumchariu  by देवेन्द्र कुमार जैन - Devendra Kumar Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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“पठमचरिउ” और 'रामचरितमानस' १५ देखकर उसका आक्रोश प्रेममें बदल जाता है। वह उनसे अनुचित प्रस्ताव करती है । लक्ष्मण उसे अपमानित कर भगा देते हैं। राम-रावणके संधर्षकी भूमिका यहींसे प्रारम्भ होदौ है । खरद्रूषणकरे हारनेपर चन्द्रनखा रावणके पास जाकर अपनौ गुहार सुनाती है । वहु अवलोकिनौ विद्याको सहायतासे सीताका अपहरण करकेताह। मार्गमे जटायु ओर भामण्डलका अनुचर विद्याधर इसका विरोध करता ह । परन्तु उसको नहीं चरती । कंका पहुँचकर सीता नगरमे प्रवेश करनेसे मना कर देतो है, रावण उसे नन्दनवन में ठहूरा देता ह । रावण सीताको फुषलाता है । परन्तु व्यथं । रावणकी कामजन्य दयनीय स्थिति देखकर मन्त्रिपरिषद्‌कौ बेठक होती है । तीसरे सुन्दर काण्डमे राम सुप्रीवकी पल्नीका उद्धार कपट सुग्रीव ( सहस्रगति } से इस शर्तपर करते हं कि वहु उनकी सीताकी खोज- खबरमे योग देगा । पहले तो सुग्रीव चुप रहता है, परन्तु बादमें लक्ष्मणके डरसे वह्‌ चार सामन्त सीताको खोजके लिए भेजताहै। सीताका पता लगनेपर हनुमान्‌ सन्देश लेकर जाता है। सीताकी प्रतिज्ञा थी कि वह पतिकी खबर मिलनेपर ही आहार ग्रहण करेगी । हनुमानसे समाचार पाकर वह आहार ग्रहण करती हैँ । समझौतेके सब प्रस्ताव-वार्ताएँ असफूक होनेपर युद्ध छिड़ता है, ओर रावण लक्ष्मणके हाथों मारा जाता हैँ । रावणका दाहसंस्कार करनेके बाद राम अयोष्या वापस आते हैं और सामन्तोमें भूमिका वितरण कर देते है। कुछ समय राज्य करनेके बाद, (.कविके अनुसार ) रामका मन सीतासे विरक्त हो उठता है, अनुरक्तिके समय रामने सीताके लिए क्या-क्या नहीं किया, विरक्ति होने षर रामको वही सीता काटने दौडती है । व्ह उसक्रा परित्याग कर देते है, सीताको वनमें-से उसका मामा वखजंघ ले जाता है, जहां वहु “ख्वण' भौर (कुश दो पुत्रोको जन्म देती है । बड़ होनेपर उनका रामे इन्द होता है । बादमें रहस्य खुलनेपर राम उन्हें गले लगा लेते है । अग्नि परीक्षाके बाद सीता द्वीक्षा ग्रहण कर लेती हैं। कुछ दिन दाद लक्ष्मणको मृत्यु होती है, राम




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