कर्मग्रंथ : भाग -4 | Karm Granth- Bhag 4

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Karm Granth-  Bhag 4 by पण्डित सुखलालजी - Pandit Sukhlalji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अशुद्ध प्रन्थ्म पर्यनियोम नवीन दी রাহ त्रिमी बोई कोई शुद्द, भगुद्ध पर्‌ आत्माका रम्ब धेस विधाय जद या विग्घा হাই जनदत्रियद्‌ মলা यटिनियना শ্হি অহা गागद्धोमा प्राम मति चौरण्दस्तु कणदीप्र गस्तावनाका शुद्धिपत, शुद्ध ग्रन्थ पर्यनुयोग नवीन दो दार क्सि कोई कोटं विपय गुदर स्वम्पक्मा জী হুদ नगु आत्माका पर उसके होस विधायाई जद बहुविग्पा লীবাই नतदविपट्‌ पत्ता पटिनियत्ता षदो रागरोमा यियासव भिति चौरष्दस्तु कूणलीप ~ „~ ‰ 4 १० १० १३ ৭১ १४ १५ १५ १५ १५ १५ १५ १६ १६ १५ पक्ति ११ १९ ०१ १० १६ १३ १४ १९ २१ ५३ ०० १० ११ १२ १४ १८ গত ৭৫




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