नैतिक जीवन | Naitik Jeevan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Naitik Jeevan by श्री रघुनाथ प्रसाद पाठक - Shri Raghunath Prasad Pathak

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्री रघुनाथ प्रसाद पाठक - Shri Raghunath Prasad Pathak

Add Infomation AboutShri Raghunath Prasad Pathak

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
पा न व न __. . ७५ कि . #१ १ कू. . रा अर है र डे हैं| तभी तो लाप्लास जेसा झ्रनीश्वर वादी दार्शनिक जो . घम श्रौर इश्वर कों व्यक्ति श्र समाज के वल्याण के लिये नावश्यक माना करता यों कि न सना सनक कि ध्य उपने लम्बे अडुभव के ब्ाघार पर यह दहने के कद ये बाध्य हो गया थी पर झा कि घम भाव के बिना न तो समाज सुखी बन सकता है श्र न सम्मानित । वस्तुत घम ही सदाष्वार की दृड़तम श्राघार शिला होती है जिस पर खड़ा समाज का भवन श्र राज्य रखी रुमृद्ध श्ौर स्थिर रहते हैं । राज्य-व्यवस्था का ्येय व्यदिति और समाज का विकास श्र उन रद्ा करना दोता हे । राज्य-व्यदस्था की उत्तमता श्और रद्चा धर्म शोर सदाचार से सरक्षित रहती है | धर्म से ही शासन को शक्ति प्राप्त होती कानून में बल आता श्रौर दोनों का सम्यक संचालन. होता हैं अध्ावार अन्याय शोर स्पत्याचार के कारण राज्य के प्रति हो जाय तो राज्य का मवन बहुत दिन नहीं टिकता । यजा को खिला-पिला कर मोटा ताज़ा करने वा. उसके शरीर को सभा देने से तो काम नहीं चलता | 1जस प्रकार बलिप्ट शरीर की बिना श्रात्मिक आर सौस्कृतिक 1वकास के कोई उपयोगिता नहीं होती अपितु बह पर पीड़न का कारण मो जाता हे उसी प्रकार प्रजा के शरीरों को बनाने श्र उनका भौतिक स्टस्ड ऊँ पा कर देने मात्र से काम नहीं चलता । काम तब चलता हे जन शरी डुन्-पुप्ठ दर शोमायुक्त होने के साथ-साथ द्रात्मिक बल श्र शोमा से भी युक्त दो | श्साम्प्रदायिक राज्य का परीक्षण करने वाली राज्य सत्ताद्र का इस बात वो पंल्ले में-बाँघ लेना चाहिए । संग दित घर से जिससे साम्प्रदायिकता को पश्रय मिले राजतन्त्र को अर्धता रखा जाय यह बात बिल्कुल दीक है परन्तु साम्प्रदायिवता के दूरीकररण कं । यदि ठउरावार चुणा उत्पन्स रद 0 नये जोश में द्रास्तिकता दौर नेतिव ता का राजतन्त्र से बहिष्कार कर देना गंक हद कि न्श ० कि 3७ गा तिल मयकर भूल होती है | निस्सस्देड घम भावना को राजनोतक कुकर का हथियार बनाना अर 1 जघन्य दौर तार समाज मैं - तबाही उत्पन्न कर देना बड़ ज -वघामिक कार्य होता हैं त्रौर जब यह कार्य धर्म के नाम पर घर्स सहला को




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now