जीवन दान | Jivan Daan
श्रेणी : राजनीति / Politics, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
66
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जीवन-समर्पण १७
हैँ कि जिसका सेनावति तो आगे वढे और सेना पीछे ही
रहे 1 41
अगर दोनों पक्त जुट जाते !
विहार में काँग्रेतल और समाजवादी, दोनो पक्षों मे काफी
कार्यकर्ता हैं । रचनात्मक कार्यकर्ताओं की बात तो मे नही करता,
क्योकि वे लगन ओर सातत्य से यह् कार्यं कर. रहं हं । परन्तु यदि
काँग्रेस और प्रजा-समाजवादी दल के कार्यकर्ता इस काम में
जुट जाते, तो वे इतना काम कर पाते कि जो कानून से दस
वर्षों में भी नही हो पाता। तव तो वत्तीस लाख एकड़ का कोटा
जरूर पूरा हो जाता। लेकिन वावा गया में एक वार, दो वार,
तीन वार आये और अव चौथी वार आये हें। में भी यहाँ तीन
वार यात्रा कर चुका हूँ । तो हर वार यही अनुभव आता हूँ कि
हमारे दौरे के समय, या अनुग्रह वाव, कृप्णवल्लम बाबू, श्रीवाबू,
इनमें से किसीका भी दौरा हो, तो लोग दौड़-घूप करते हे,
दानपत्र इकट्ठा करते हें और दोरा खतम होने के वाद फिर
से ठंढक हो जाती हूँ। एक वार ज्वार उठे और गिर जाय, तो
उसे फिर से ऊपर उठाना कठिन हौ जाता हं ।
आत्मसंशोधन का कण
१९५२ फे शिनम्बर महीने में मेरा गया में पहला दोरा
हुआ था। उस समय जो छह हजार एकड के दान जाहिर हुए थे,
उनमे से अभी तक तीन हजार एकड़ के दानपत्र भी प्राप्त नही
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