जिनाज्ञा विधि प्रकाश | Jinagya Vidhi Prakash
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
208
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand) , *, | ঘরঘল সন্কাহা 11 “( १३)
उन को सूत्र में सुगमता मालम॑ “हुई उस जगह सुगम: ऐसा, कहकर
छोड दिया'अर्थात्-उस्त की टीका न बनाई। सो अब वे शब्द /वत्तैसान
काल भे व्रहुत कठिन होगये ।.रोर जे “श्माचार्यो ने , करण > शादि
मन्दवुदधियो के वासते रचे ये सो रूर 'करके उन .क रचेहुए प्रकरण
मिलते ही बहुत कम हैं । जो कोई मकरण मिलता हैतो उस के सममाने:
वाले गुरु नहीं मिलते इसलिये-इस ग्रथ, का ,चनाना सम्रयोजन है॥#
शका-अजी-भाषा के भी प्रथु तो बहुत मिलते ह+ क्या उन, से
उन लोगों को बोध न होगा क्योंकि अक्सर करके भाषा क्रे ‡ग्रय, छपे
के होने से भाचीन और नवीन् |गुजराती|व हिन्दी; भाषा में बहुत मिलते
ई क्याउन से बोध नहीं होग| तो तुम्होरे अध से ही बोध होगा,९॥
“0 / समाधान--जो तुमने, कहा कि भाचीननवीन |भापा:के: ग्रथ ,भी
बहुत मिलते ह सो ठीक परन्तु जो प्राचीन बुद्धिमान थे , उन्हीं नेम
सर करके जो'ग्रथ,भाषा: में बनाये हैं उन्त,में एक दो. अनुयोग की विशे-
पता, ¡करके ; वर्णन “किया. है- जिस म एक = अनुयोग; को {मुर
करके लिखा है. और दूसरे को,गौण करके रकिवितः छिना है;। शत्य
बाते ।जो जताई है सो भी दोहा, दाल, ,,स्तव॒न-शआदि:कहके प्रकरण
रे है.सो उन.मे।मार्ग, तो ,दिखाया हैं परन्तु सरल भाषा, करकं, न
दों छन्द पादिक का अर्थ अथवा झपना अमिप्राय-खुल[सा न. कहां।
श्रो जो नवीन गर्थों के बनानेवाले, हैं उन्हों ने अपने २ पक्षपात् से अब
मे किसी, ने निश्चदही -को पुष्ट;करक़े,,व्यूवहार॒- को उठाया है, | हर
किसीं ने उत्सर्ग, मार्गं कोस्मगीकाराकरये ग्रथ, रचा है, ।किसी ने ह्प-
याद ,मर्म/को ही पुष्ट-करके,ग्रथ रचा है इसलिये -उन अंयो की; भिन्न, २
म्रकिया देखने से: जिशसु-को-उल्तदे,सन्देह-सैद्ा होते/हैं। तो,
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