पांच कहानियाँ | Paanch Kahaniyan
श्रेणी : कहानियाँ / Stories, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.4 MB
कुल पष्ठ :
115
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री सुमित्रानंदन पन्त - Sri Sumitranandan Pant
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पाँच कहानियाँ झान्त एवं पराजित हो अन्त में पीताम्बर ने एक तम्बोली की दूकान में पान लगाने की नौकरी कर ली पर वहाँ भी वह अधिक समय तक न ठहर सका । उसकी कुटेवें उसका दुभोग्य बन गई. थीं । और एक रोज़ दूकान पर पान खाने को आई हुई एक वेश्या के रूप-सम्मोहनन के तीर से बुरी तरह घायल हो उसने शाम के वक्त चुपचाप गल्ले की सन्दूक़ची से पाँच रुपए का नोट चुराकर अपनी विपत्ति-निशा की कालिमा को एक रात के कलंक से. और भी कलुषित कर डाला । उसका स्वास्थ्य अभी खराब नहीं हुआ था । उसके अविविवाहित जीवन सबल इन्द्रियों की स्वस्थ प्रेरेशाओं का समाज अथवा ससार क्या मूल्य आँके सकता था क्या सदुपयाग कर सकता था ? फूल की मिलनेच्छा सुगन्ध कही जाती है मनुष्य की प्रणयेच्छा दुग्ध उसे निमंत्र समीर वाहित करता है इसे कलुषित लोकापवाद । नर-पुष्प के वीये का गीत गाता हुआ भौंरा सत्य करता हुआ मलयानिल ख््री-पुष्प के गभ में पहुँचा आता है मनुष्य का वीये वेवाहिक की अच्छी कोठरियों पाशविक वेश्याचार की गन्दी नालियों में सेहत प्रकार के गहिंत नीरस कृत्रिम मैथुनों द्वारा छिपे-छिपे प्रवाहित होता है यह इसलिए कि हम सभ्य हैं मनुष्य के मूल्य को जीवन को पवित्रता को समक सकते हैं । असंख्य जीवों से परि- पूणण यह सृष्टि एक ही अमर दिव्य शक्ति की अभिव्यक्ति है श्रकृति के सभी काये पुनीत हैं मनष्य-मात्र की एक ही आत्मा है--
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