महान पाश्चात्य शिक्षा शास्त्री | Mahan Pashchatya Shiksha Shastri

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Mahan Pashchatya Shiksha Shastri by एस. के. पाल - S. K. Pal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्लेटो ] | ण्याय ¢ स्पार के नागरिक दुश्मनों से धिरे हुए भे जिसके कारण उनमें सदेव च्यक्रमण का मय घना रहता था। उन लोगों को अपने शत्नओं को पराजित करने की चिन्ता प्रतिक्षण चिन्तित' ০০০০ किये रखती थी । आक्रमण से अपनी रक्षा के लिए सम्पूण स्वतंत्र स्पार्टीावासियों के लिए यह आवश्यक हो गया था कि वे राज्य की सैन्य शक्ति को संगठित करें। इसके अतिरिक्त उनके लिए यह भी आवश्यक हो गया था कि वे ऐसी शिक्षा योजना का निधोरण करें जो कि देश की सैन्य शक्ति की समृद्धि के लिए अत्यन्त शक्तिशाली सैनिक तथा उच्चकोटि के देशभक्त उत्पन्न कर सके | धेय शक्ति, सहनशीलता तथा श्चाज्ञापालन चादि उनके शिक्षा के आदश निधारित किए गए। फलस्वरूप शिक्षा विषय तथा शिक्षा-प्रणाली शादि स अंत तक सेनिक मान्यताओं से झोतप्रोत थी। मानसिक शिक्षा की ओर बहुत कम ध्यान दिया गया था । सपाद कौ शिका प्रणाली का एकमात्र उद्देश्य राज्य सेव था | सम्पणश शिक्षा योजना राज्य की ओर से ही परिचालित को जाती थी । एक समाजवादी राज्य में शिक्षा के पशु राज्य-नियंत्रण का यह एक अत्यन्त ज्वलंत उदाहरण है। चतमान समय में इस प्रकार राज्य द्वारा परिचालित शिक्षा योजना का रूप हम नाजी जमेनी तथा फासिस्द इटली में देख सकते हैं । स्पार के विपरीत एथेन्स एक अधिक ग्रगतिशीत्ञ राज्य था तथा बहाँ आक्रमण संघर्ष व समस्या सादा के समान अत्यन्य महत्य धेन्व र आवश्यक न थी | उसके नागरिक युद्ध प अपेक्षा शांति को अधिक पसन्द करते थे | अतएव वे शांति की प्राप्ति के लिए प्रयस्नशील बनाए जाते थे। राज्य का यह सदा प्रयत्न होता था कि वे अपने नागरिको को एक सुसंयत मनुष्य बना सके | साधारणतः एथेन्स की शिक्षा दो कालों में विभक्त की जती है एक तो प्राचोन एथेन्स की शिक्षा जो कि फ्रारसीय युद्ध (४५६ ई० पू० ) के समय तक भ्चलित थी तथा दूसरी ण्थेन्स पर का रूप




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