ओशो (रजनीश) का अधुनातम शिक्षा दर्शन | Osho {Rajneesh} Ka Adhunatm Shiksha Darshan

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Osho Rajneesh Ka Adhunatam Shiksha Darshan by रामयश - Ramayash

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पाए 7 ट्वेष वैमनुष्यता अपनी मूढ़ता सभी शिक्षक के द्वार नई पीढ़ी को वसीयत के रूप में दे दी जाती है अपने अनुभव और ज्ञान के साथ-साथ अपने रोग दोष भी साथ मे सौप देते हैं। हिन्दू बाप अपने बच्चों को हिन्दू होना सिखा जाता है, जैन अपने को जैन और मुसलमान अपने को मुसलमान और मनुष्य विरोधी जिन सम्पदायों में वह फँसा है उसी विष को वह अपने बच्चों को भी सौंप जाना चाहता है। शिक्षा के अनेक माध्यमों से यह विष फैलाया जाता है और ऐसी विषाक्त सिखावन के कारण मनुष्य एक नही हो पाता है और उस धर्म के प्रति भी हमारी आंखे नहीं उठ पाती जोकि एक है और एक हो सकता है। ऐसे ही राष्ट्रीयतायें सिखाई जाती है और राष्ट्रीय अंहकारों को गौरवान्वित किया जाता है एक देश को दूसरे देश के विरोध मे पाला पोषा और खड़ा किया जाता है। परिणाम मे हिंसा फलती फूलती है और युद्धो की अग्नि जलती है। जहाँ अहंकार है, वहाँ हिंसा है, वहाँ युद्ध है जिनके कीटाणु शिक्षक अबोध बच्चों में संक्रमित करते रहते है मनुष्य के साथ किये जाने वाले जघन्य से जघन्य अपराधों में यह. एक है। अगर शिक्षक अत्यन्त जागरूक हो तो ही इस लांक्षन से वह बच सकता है। शिक्षक को निद्रा से जगाना ही होगा उसके अतिरिक्त और कोई भागीरथ नही है जो कि दिद्रोह की गंगा को पृथ्वी पर ला सके। लेकिन शिक्षक बडे भ्रमों में है समाज उसे भूखा भले मार डाले लेकन उसके प्रति आदर खूब दिखाता है। शिक्षक को सदा से ही आदर एवं सम्मान दिया गया है वह गुरू है सम्माननीय है ऐसे उसके अहंकार को पोषित किया जाता है और उसे भ्रम में डाला जाता है और फिर उसके द्वारा नई पीढ़ियों को पुराने... ढांचे में ढालने का कार्य लिया जाता है। ऐसे बड़े आदरपूर्वक ढंग से शिक्षक का शोषण किया. _ जाता है समाज शिक्षक को व्यर्थ आदर नही देता है इस आदर के बदले में बहुत मंहगा काम हि _ उससे लेता है। कक ओशो ने वर्तमान शिक्षा का बहुत ही बारीकी और गहराई से अध्ययन किया है समाज जिन बुराइयों को अनजाने में पकड़ लेता है उससे छुटकारा दिलाने का प्रयास किया है। अत: इनका शिक्षा दर्शन पुरानी रूढ़ियों को तोड़कर नया आनन्ददायक मार्ग प्रशस्त करता है।




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