जलवार राज्य के दीवान | Jalawar Rajy Ke Diwan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
463
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विपय-घची । १३
नम्बर विपय पृष्ठ
७५१--अपना शासन भाप फरने के छिए बचपन ही से भले बुरे
परिणामों के तज़रिवे की ज़रूरत बेटे „ २७४
५२-ख्ड्क म ड पोर स्येच्छावार स्वाधीनता के ग्रंकुर है. २७६
पर्े--उत्तम शिक्षा-पद्धति के लिए अध्ययन, कल्पना-चातुय्य,
14
शान्ति प्रार आत्मनिश्रद्द की ज़रूरत রি ১ হও
५४-यह शिक्षा-पद्धति माँ-चाप ঈাং অন্নাল হানা ক ভিত
मड़ुल-जनक हैँ টু ५ २७९.
चौथा प्रकरण
(शारीरिक शिक्षा )
१--जानपरों के पालने, उन्हें सघाने या उनकी धंश-दूद्धि करने
का अधिकांश आर्दामियां को दाक़ होता है ... 2৫
२--प्रपने बच्चों के खाने पीते इत्यादि की देखभाल करना प्रायः
छोग पुरुषत्य में बद्दा छगाना समभतते हैं ১ ৫
इ--ज्ानवर्रो के पालन-पापण में वेदद चाव भार अपने घाल-
घद्चों के पालन-पेपण् में बेहद वेपरधादी না २८४
४-जावन-निर्याद के कपिं म महनत वदती ज्ञाती है। उसे
सष्ठ सकने के लिए सुदृढ़ शरीर की ज़रूरत ... २८५
स--दारोत्रक दिक्षा की तरफ रोगों का ध्यान अब कुछ कुछ
जाने लगा है. क्र २८६
६जछड़के की शारीरिक शिक्षा वैश्ानिक सिद्धान्तों के अनु
„ सार दानी चाद्िष र २८७
७--सेखार की कोर स्थिति पकसी नटी रहती । उसमे हमेशा
घढ़ाव-उतार लगा रहता दे... २८८
<--प्रधिक खा जाने की अपेक्षा भूसे रहना विद्येप दानिकारी है. २९०
६--भूख भर खाने से द्वानि नहों। साने के विपय में पशु,
पक्षी, मनुष्य-घाल, घृद्ध: युधा-सबकी भार्गदशक
छुपा है নল म ... २९१
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