हिन्दुस्तान की समस्याये | Hindustan Ki Samasyaye
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
218
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about जवाहरलाल नेहरू - Jawaharlal Neharu
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१२ हिन्दुस्तान की समस्याएं
उन्हीं की जय थी। तब आइए, एक बार फिर मिलकर पुकारें-+ भारत-
माता की जय !
इसके बाद हम अन्धकार में दिल्ली की ओर बढ़े। रेल मिली और
उसके बाद खूब आराम भी।
१६ सितम्बर, १९३६
न.
हिन्दुस्तान की समस्यां
हमारे मुल्क के सामने इतने पेचीदा सवाल हें, अ्रन्दरूनी, घरेलू और
बाहर के किं यह् जरूरी है कि मुल्क के लोग--श्राप श्रौर हम--उनको
समझें । हो सकता है कि सब उनके पेंच न समझें, लेकिन मोटे तौर से
समझें; क्योंकि हम समझते नहीं तबतक उसमें अपना पूरा हिस्सा नहीं
ले सकते। एेसे खतरे के वक्त हमें क्या करना है, यह हम जानते हैं।
एक मुल्क के, जो कि आजाद कहलाता है, महज नकझे पर या किताबों
में आजाद लिख देने से तो उसकी सब मुशिकलें हल हो नहीं जातीं ।
आजादी के मायने यह हें कि रास्ता खुल जाता है चलने का। रुकावटें
निकल जाती हें, कम-से-कम एकाध मोटी रुकावढ निकल जाती है।
लेकिन उसके बाद हम किधर जायें, क॑ंसे जायें और किसकी टांगों पर
जायें, यह तो हमें खुद फेसला करना है। अपने आपसे कुछ नहीं
हो जाता ।
अक्सर लोगों का यह खयाल था और है कि स्वराज्य आने पर हमारे
सारे दुःख और तकलीफें दूर हो जायंगी। हम सब चाहते थे। बड़े-बड़े
नकशे हमने बनाये, लेकिन वाकया तो यह है कि काफी तकलीफें हें।
कुछ बढ़ भी गई हैं पहले से, यह भी सही है। कुछ घट गई हैं। क्यों हुआ
यह ? यह हमें समझना चाहिए, क्योंकि जबतक हम समझते नहीं तबतक
User Reviews
No Reviews | Add Yours...