राजव्यवस्था सर्वोदय द्दष्टि से | Rajvyavastha Sarvodaya Ddashti Se
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
181
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)৮ २ ध পদ
तीसरा खंड
सर्वोदय में राज्य का स्वरूप
८--राज्य और व्यक्ति
एक पक्ष--राज्य स्वयं साध्य है--दूसरा पक्ष--राज्य एक साधन' है--वर्त
स्थिति---राज्य में व्यक्ति का लोप--गांधी जी का मार्ग-दर्शन---नार्गाः
के कर्तव्य--अधिकारो सम्बन्धी दष्टि-गांधी जी के विचार--वि
वक्तव्य ।
पृष्ट ६६ से
९--पत्तातीत राजनीति
-वर्तमान राजनीति ओर दल्बन्दी-घातक परिणाम--पक्षातीत नीति
अवश्यकता पक्ष-संचषं का कारण--एक उदाहरण--पक्षातीत नीति
लिए विकेन्द्रीकरण की आवश्यकता--विकेन्द्रित व्यवस्था मे मतभेदों
कमी---चुनावों पर शुभ प्रभाव--सिद्धान्त-मेद हानिकर न होगा--वि'
वक्तव्य |
पृष्ठ ७६ से .
१०--विकेन्द्रीकरण रौर स्वावलम्बन
[१] विकेन्द्रीकरण । राजनैतिक विकन्द्रीकरण--ग्राम सस्थाएं--आथिक वि
न्द्रीकरण---विकेन्द्रित समाज-रचना--केद्रीय शासन का छोटी इकाइये
व्यवहार--विकेन्द्रीकरण-कार्य का उदाहरण; भारत में भूदान-यज्ञ ।
पृष्ठ ८२ से
1२] स्वावरूम्बन । स्वावलम्बन का कुछ स्पष्टीकरण--स्वावलूम्बन के |
दरीर-अ्रम की अनिवार्यता--शरीर श्रम बनाम बौद्धिक श्रम--उत्पादन
साधन सब को सुलूभ हों--स्वावलूम्बी समाज का स्वरूप; खेती और उब्
--विज्ञान का स्थान--विशेष वक्तव्य ।
पृष्ठ ८६ से
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