आचारांग सूत्र भाग - 1 | Acaranga Sutra Part I
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
449
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री मिश्रीलाल जी महाराज - Sri Mishrilal Ji Maharaj
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)। এ. आचारां सूत्र प्रकाशन में विशिष्ट सहयोगी
श्रीमान सायरसल जी व श्रीमान जेठमल जी चोरडिया
` [संक्षिप्त परिचय]
एक उक्ति प्रसिद्ध है--'ज्ञानस्य फलं विरति:--ज्ञान का सुफल है--वैराग्य । वैसे ही एक सूक्ति
है---'“वित्तस्थ फलं वितरणं''--धन का सुफल हैं--दान ! पात्र में, योग्य कार्य में अर्थ व्यय करना, धन
का सदुपयोग है।
नोखा (चांदावतों का) का चोरंड़िया परिवार इस सूक्ति का आदर्श उदाहरण है । मद्रास एवं बेंग-
लर आदि क्षेत्रों में वसा, यह मरुधरा का दानवीर परिवार आज समाज-सेवा, शिक्षा, चिकित्सा, साहित्य-
| प्रसार, राष्ट्रीय सेवा आदि विभिन्न कार्यों में मुक्त मन से और मुक्त हाथ से उपाजित लक्ष्मी का सदुपयोग
करके यशोभागी बन रहा है । |
` नागोर जिला तथा मेडता तहसील के अन्तर्गत चांदावतों का नोखा एक ভীতা किन्तु-सुरम्य ग्राम
हैं । इस ग्राम में चोरडिया, बोथरा व ललवाणी परिवार रहते हैं । प्रायः सभी परिवार व्यापार-कुंशल हैं,
सम्पन्न हैं । चोरड़िया परिवार के घर इस ग्राम में अधिक हैं ।
चोरड़िया परिवार के पूर्वजों में श्री उदयचन्द जी पूर्वे-पुरुष हुए । उनके तीन पुत्र हुए--श्री हरक
चन्द जी, श्री राजमल जी व श्री चान्दमल जी । श्री हरकचन्द जी के एक पुत्र थे श्री गणेशमल जी ।
. श्री राजमल जी के छ: पुत्र हुए--श्री गुमानमल जी, श्री माँगीलाल जी, श्री दीपचन्द जी, श्री
चंपालाल जी, श्री चन्दनमल जी, श्री फूलचन्द जी । ह |
` श्रीमान् राजमल जी अव इस संसार में नहीं रहे । उनका पूत्र-परिवार धर्मनिष्ठ है, सम्पन्न है ।
श्री राजमल जी के ज्येष्ठ पुत्र श्री गुमानमल जी मद्रास जैन-समाज के एक श्रावकरत्न हैँ । त्याग-
वृत्ति, सेवा-भावना, उदारता, साधरमि-वत्सलता आदि गुणों से जापका जीवन चमक रहा है ।
, श्री गणेशमल जी जव छोटे थे, तभी उनके पिता श्री हरकचन्द जीका देहान्त हौ गया! माता
श्री रूपी वाई ने ही गणेशमल जी का पालन-पोषण व शिक्षण आदि कराकर उन्हें योग्य बनाया । श्रीरूपी
बाई बड़ी हिम्मत वाली बहादुर महिला थीं, विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने धर्म-ध्यान, तपस्या आदि
के साथ पुत्र-पौत्रों का पालन व सुसंस्कार प्रदान करने में घड़ी निपुणता दिखायी ।
। श्री गणेशमल जी राजमल जी का पिता के तुल्य ही भादर व सम्मान करते तथा उनकी आ्ञाभों
का पालन करते थे ।
. श्रौ गणेशमल जी की पत्नी का नाम सुन्दर बाई था 1 सुन्दर वाई बहुत सरल व भद्र स्वभावकी
धर्मशीला श्राविका थीं । अभी-अभी जापका स्वरभवास हौ गया 1
शरी गेणेशमल जी के दस पुत्र एवं एक पुत्री हुए जिनके नाम इस प्रकार है--श्री जोगीलाल जी,
श्री पारसमल जी, श्री अमरचन्द जी, श्री मदनलाल जी, श्री सायरमल जी, श्री पुखराज जी, श्री जेठ-
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