साहित्य वाचस्पति सेठ कन्हैयालाल पोद्दार अभिनंदन ग्रंथ | Sahitya Vatchaspati Seth Kanhiya Lal Podhar Abhinandan Granth

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Book Image : साहित्य वाचस्पति सेठ कन्हैयालाल पोद्दार अभिनंदन ग्रंथ  - Sahitya Vatchaspati Seth Kanhiya Lal Podhar Abhinandan Granth

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ख ) ५१९ ब्रजभाषा का काव्य और श्यृंगार रस---श्री डा० रामप्रसाद जी त्रिपाठी, एम० ए०, डी० लिद (लंदन), कुलपति--सागर-विश्वविद्यालय, सामर पृष्ठ १३३,* १९/ श्री सुर का एक पद--श्री गोस्वामी श्री त्रजभूषणलाल जी, काँकरौली (मेवाड़) „ १४१ १३: श्री सर के पाँच नये पद (कविता-संकलन), श्री सूरदास (भ्रष्टछाप) ১ ইল) १४, ब्रजमाषा मे नव रस--भ्री राजेदवरपरसाव जो चतुर्वेदी, एम० ए०, श्रागरां » १४६, १५. ब्रजभाषा : साहित्य-शशि तुलसी के तीन पद (कविता-संकलन), श्री गो० तुलसीदास जी ,, १६६, १६: दिव्य कवि सूरदास--श्री शंभुप्रसाद जी बहुगुणा, एम० ए०, लखनऊ ४ २१९७, «१७. ब्रज साहित्य के श्रृंगार रस की मीमांसा--श्री प्रो० गुरुप्रसाद जो टंडन एम० ए०, ] लइ्ष्कर-->वालियर 2) 2৯) १८- गोस्वामी तुलसीदास : श्री कृष्ण-गीतावली (कविता-संकलन ) श्री गो० तुलसीदास, 9) ९५८६, १६. स्वामी हरिदास जौ की बाणी--श्री पं० गोपालदत्त जी, एम० ए०, मथुरा „ १८७; 2२०. वल्लभाचायं कौ साधन मगं--धौ पं० बलदेव उपाध्याय, एम० ए० काली “ १६५७, २१. तंडदास्‌ : श्रष्टलाप---धौ डा० राकेश गुप्त, एम० ए०, डी० फिल्‌, काशी ४ २०३, २२. पुष्टिमार्गोय सिद्धांत की आध्यात्सिक पृष्ठ-भूसि---श्री पो० कंठसणि जी शास्त्री, अध्यक्ष--विद्या-विभाग कॉकरोली (समेबाड़) २१३; २३. परमानंद-सागर : परमानंददास--श्री ललितकुमारदेव चतुर्वेदी, मथुरा २२७, ४. हरिवंश और {हृदी वं ष्णव-काव्य--भ्री डा ० ब्रजेहवर शर्मा, एम० ए०, डी° लिट्‌, प्रयाग ,„ २४३, २५. रूप-रसिक जी को वाणी (कविता-संकलन ), श्री रूप-रसिक जी, 1 २६४) २६. हिंदी साहित्य में राधा-कृष्ण की भावना का विकास--श्री शंभुप्रसाद जी बहुगुणा एस० ए०, लेखन ॐ + २६९ २७. सरस-मंजावलौ (कविता-संकलन); श्री सहचरिशरण जी, ॥) 5০ २८. गोस्वामी तुलसीदास की ब्नजभाषा-साहित्य को देन--श्री डा० रामदत्त-कृष्णदत्त जी भारद्वाज एस० ए० (त्रय), एल० एल० बी०, एल० टी०, पी० एच० डी०, वास्त्री--कासगंज (एटा ) ॥ २८१; २९, कुछ विभिन्न पद-रचयिताशओं के पद (कविता-संकलन ), शी रूपरंग जी, श्री ब्रह्मदास जी (बीरवल ), श्री छवि-नायक, श्री चंचल गति, श्री अकबर (मुगल सभ्राद्‌), श्रौ सदारग + २९०, ४६३०. आलम और रसलान---भ्री डा० भवानी शंकर जी याज्ञिक, एम० बी० बी० एस०, डी० जी ० ऐच०, भ्रसिस्टेंट डायरेक्टर इंचाजं, प्रा वेशियल हाईजीन इंस्टीट्यूट तथा प्रो०--श्राफ्‌ सोसल मेडिसन एण्ड पब्लिक हेल्‍थ मेडिकल कालेज लखनऊ-विद्ववविद्यालय, लखनऊ # २६९, ३१. श्री भगवतरसिक जी की वाणी (कविता-संकलन), श्री भगवत रसिक वृंदावत्त # शेर८, ५.९२. ब्रजभाषा के गुजराती पद-प्रणेता--भौ डा० जगदीश प्रसाद जी गुप्त एम० ए०, पी० ऐच० डी०, प्रयाग | ३१९, ३३. विष्णुदास श्रौर मेहा के पद (कविता-संकलन), श्रौ विष्णुस श्रौर मेहा ग्वाल, # ३२६ ३४: भ्रमरगीत की परंपरा--श्रीमती सरला शुक्ल एसम० ए०, लखनऊ # २२७, ३४. ब्रजविलास--ध्ी संकठाप्रसाद सिहु एम० ए०, भथुरा ५ ३४६ ४४३६. श्रानंदघन झर रूपसती (बाजबहादुर) के पद (कविता-संकलन ), श्री श्रानंदघधत और श्री रूपसती- बाजबहादुर # ३५६ २७. बल्लभ-सभ्रदाय के ब्रजमाषा-साहित्य कौ खोज--श्री प्रभुदयाल जौ मौतल मथुरा २३५७) ३८: समुगलसस्राटों की ब्रजभाषा गेय-पद रचनाएँ (कविता-संकलन ), श्री अकबर दाह, श्री शाह आ्राजस, भरी बहादुर शाह, श्री सलीम शाह, श्रो सवारंग, श्री तान-तरंग % ३६४, পট




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