माध्यमिक निबन्ध - माला | Madhyamik Nibandh - Mala

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Madhyamik Nibandh - Mala by ब्रजभूषण शर्मा - Brajbhushan Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ९ 4 यह तो भाषा के सीखने की बाच हुई; एस्तु भाव का महत्त्व भाषा से भी अधिक है; क्योंकि भाषा तो विषय-वस्ठु के वर्णन करने का साथन मात्न है | दिना भावके माषका क्या मूल्य? ऋतः हयो वदं सीखना पड़ेशा कि अपने विषय को किस पक[र प्रकट करे कि वदं श्रन्य लोभो के लि सबंधा ख्यष्ठ হী জানু! थावों का विश्लेषण, क्रमबद्धता, प्रवाह आदि बातें भाव- प्रकाशन के सम्बन्ध की हैं और उनके कुछ नियम भी निर्धारित किये जा सकते हैं। भूमिका के इन एषठ मे भाषा तथा भाव की इन्हीं विशे- घताओं का कुछ वर्णन किया जायगा जिससे विद्यार्थियों को निबन्ध-रचना में सहायता मिले | भाषा-बुद्धि शब्दशुद्धि और शब्दों की ब्लावर--यों दो श्रन्य भाषाओं की अपेक्षा, हिन्दी भाषा और नागरी लिपि अधिक वैज्ञानिक है और शब्दों की খ্বলি तथा अङ्कति भे विशेष अन्तर नहीं है फिर भी ऐसे श्रमेक शब्द हैँ जिनकी श्राति, विना जाने लिखने में कठिनाई होती दे और अच्छे अच्छे लेखकों से मी मूल हे जाती हैं। इनकी ओर अब ध्यान दिवा नाता है| ४ अलुस्वार--इसमें दो प्रकार कौ भूलें होती है; (९) श्रतस्वार का बिनु उख शर्त के ऊपर কাহালা ই জিভ নাহ उसका जउ्चारण होता है। जैसे परम॑नन में अनुस्वार का उचारण म और ज के बीच में होता है; परन्तु वह लिखा जाता है भ के ऊपर । জী विद्यार्थी इस बात के नहीं आनते ३, इसको परवर्ती अच्चर पर लिख देते हैं जिससे शब्द अशुद्ध हो जाता है। नीः | लिखे सामुस्वार शब्द शुद्ध हैं... তথা নঅলঃ ভজন, लंदन, लंका, गंगा आदि । ৭. হে (२ यदि हम झतुस्‍्वार से काम न लें तो वर्गं फा पञ्चम श्रदर ही मिलान चाहिए : सभी अक्षरों से न महाने को प्रथा अशुद्ध ও उपयु शब्द दुसरे रूप में इस अकार लिखे जाइमें.... ~ ` चम्प्‌, मह्न; खज्ञन, लन्दन, लङ्का, गङ्का; . +. ৪ श গড এপ, ১ শু, 4 ক... 8 ০৯ এ ব্রত ० = आल লি




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