रेखाचित्र | Rekhaachitra

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Rekhaachitra by बनारसीदास चतुर्वेदी -Banarasidas Chaturvedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १२ ) का ही चित्रण किया है ! बक़ौल, एमर्सन मनुष्य अपनी आत्माके विस्तृत रूपकी ही प्रशंसा करता है । नाप-तोलकर बावन ताले पाव रत्ती प्रशंसा करनेका हमें अभ्यास नहीं, और दिल खोलकर दाद देनेमें हम विश्वास रखते हैं । अपने खोंचे रेखा- चित्रोको हमने प्रायः ज्योका-त्यो छाप दिया है, यद्यपि उनके पात्रोंके जीवनमें उल्लेखयोग्य परिवर्तन हो चुके हैं, पर हम तो अब भी उनके पूर्व रूपके ही प्रशंसक हैं । हमारे हृदयमें उनकी पुरानो म॒ति हो विद्यमान है । इधर हमारे दृष्टिकोणमें कुछ अन्तर अवश्य हुआ है । अब हम विशेषतः उन्ही लोगोंका चित्रण करना चाहते हैं, जिनका जीवन संघर्षमय है । भावी रेखाचित्र भावो रेखाचित्रोंके विषयमें 'हम भगवानके इस कथनकों ही आदर्श मानते ह । “दरिद्रान्‌ भर कौन्तेय मा प्रयच्छेश्वर धनम्‌ ।” वास्तवमें न्यायका भी यही तक़ाज़ा हैं कि हम सबसे पहले उनको कद्र करर, जिनकी प्रतिभा क्रद्रदानीके अभावमे कुण्ठित होती जा रही हं । अप्ताधारण मनुष्योको महिमा गान करनेवाले बहुत मिल जायेंगे । पर कितने कलाकार ऐसे हैं, जो साधारण सिपाहियों, माम्‌ली कायं- कर्ताओं, अविज्ञापित कवियों तथा संघर्षमय जीवन बितानेवाले लेखकोंके विषयमें दो-चार पंक्तियाँ भी लिखें ? चित्रण ? चित्रणके लिए मसाला गली-गली पड़ा हुआ हैं, रेखाचित्रोंके पात्र हर जगह मौजूद हैं । कंमरेसे च्या राजा-महाराजाभोकि ही चित्र खीचे जा सक्ते हूँ ? यदि आपके हूदयमं गुणज्ञता हो, स्वभावमें रसज्ञता ओर मस्तिष्कमे विष्लेषण रात्रित तथा विवेक भी, तो आप एकसे-एक बहिया रेखाचित्र खींच सक्ते हं । यदि मौलवी साहब अब्दुलहक़ नामदेव ढेढ़पर लिख सकते हैं, श्रीराम शर्मा चन्दा चमार या पीताम्बर कुम्दारपर, तुगनेव एक भिखारोको रेखाचित्रका पात्र बनाते हँ ओर नेविनसन एक कुत्तेको ही, तो क्‍या हम लोगोंके लिए पात्रोंकी कमी रहेंगी ?




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