आर्य महिला- रत्न | Arya Mahila Ratn
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.81 MB
कुल पष्ठ :
48
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पिया
श्द एसहिलकहि:,
दी |. ब्राह्मण देवताने भी तत्कालदी शाख्रीक-विधिसे राजाकों
फलदान कर दिया ।
उती यिंत राजा कणने अपने प्रधान-प्रधान सरदारोंकों शोडी
सी सेनाके साथ घूम-घामसे चन्द्रपुरकी सर मेंजा सैर साथदी
अपना 'ड्ग सी सेज दिया । जयकेशीने बड़ी घूम-घामसे बरासका
स्वागत किया । नियत तिथिकों शुभ सझमें खड्गक साथ सीनल
देवीका विवाह हुआ और सरदार लोग प्रसन्नतापूरवक अपनी नूतन
सहरानीकों बिदा कराकर पाटन ले आये | बड़ी सुशीसे यनीका
स्वागत किया गया | जनेक उमड़ोमें भरा हुआ हृदय लेकर:
राजाने प्रसन्न-सुखसे महदलमें प्रदेश किया |. परन्तु पकड़ी क्षण
उसकी सारी उमड़ नष्ट होगयीं--सारी खुशी इवामें मिछ गथी,
राजाका चित बहुत उदास हो गया । हाय ! खित्रकारनें इनलोगों -
के साथ बड़ी मारी शत्रता की | उसमे दैवीका जो चित्र सेयार
किया था, चह बडुतदी सुन्दर था । यदाथमें प्रीनल देवीमें उतनी
सुन्दरता न थी, इसलिये बेचारीकों सविष्यम अमैकानैक यस्त्रणा-
का शिकार होना पढ़ा । राजा एकदम महखसे निकल गया ।
उसका चित रानीसे बिस्कुलदी दूट राया । उसने सनीकी और
कभी न देशमेका निश्वयकर लिया ! नच-वधू सीनल देवी ठज्ञाकी
मारी छुपयाप बेठी थी, वह इस आकस्मिक घटनाका कुछ भी
मतलब न समन सच्ी । आाइ !. सांदमीका मन कितना भूखा
हुआ हैं, घह रूप-मोहमें पढ़, मरता रहता है, शुणपर सरना मानों
उससे सरीस्ाही नहीं !
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