आर्य महिला- रत्न | Arya Mahila Ratn

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Arya Mahila Ratn by अध्यापक जहूरबख्शअध्यापक जहूरबख्श - Adhyapak Jahurbakhsh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पिया श्द एसहिलकहि:, दी |. ब्राह्मण देवताने भी तत्कालदी शाख्रीक-विधिसे राजाकों फलदान कर दिया । उती यिंत राजा कणने अपने प्रधान-प्रधान सरदारोंकों शोडी सी सेनाके साथ घूम-घामसे चन्द्रपुरकी सर मेंजा सैर साथदी अपना 'ड्ग सी सेज दिया । जयकेशीने बड़ी घूम-घामसे बरासका स्वागत किया । नियत तिथिकों शुभ सझमें खड्गक साथ सीनल देवीका विवाह हुआ और सरदार लोग प्रसन्नतापूरवक अपनी नूतन सहरानीकों बिदा कराकर पाटन ले आये | बड़ी सुशीसे यनीका स्वागत किया गया | जनेक उमड़ोमें भरा हुआ हृदय लेकर: राजाने प्रसन्न-सुखसे महदलमें प्रदेश किया |. परन्तु पकड़ी क्षण उसकी सारी उमड़ नष्ट होगयीं--सारी खुशी इवामें मिछ गथी, राजाका चित बहुत उदास हो गया । हाय ! खित्रकारनें इनलोगों - के साथ बड़ी मारी शत्रता की | उसमे दैवीका जो चित्र सेयार किया था, चह बडुतदी सुन्दर था । यदाथमें प्रीनल देवीमें उतनी सुन्दरता न थी, इसलिये बेचारीकों सविष्यम अमैकानैक यस्त्रणा- का शिकार होना पढ़ा । राजा एकदम महखसे निकल गया । उसका चित रानीसे बिस्कुलदी दूट राया । उसने सनीकी और कभी न देशमेका निश्वयकर लिया ! नच-वधू सीनल देवी ठज्ञाकी मारी छुपयाप बेठी थी, वह इस आकस्मिक घटनाका कुछ भी मतलब न समन सच्ी । आाइ !. सांदमीका मन कितना भूखा हुआ हैं, घह रूप-मोहमें पढ़, मरता रहता है, शुणपर सरना मानों उससे सरीस्ाही नहीं !




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