प्राकृतमार्गोपदेशिका | Prakrit Margo Padeshika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
339
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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जेटलों फेर गोहिल्वाडी अने झालावाड़ी भाषामां के
या चशोतरनी अने प्ंयमहालनी भाषामां छे तेटलो ज फेश
प्रकृतभाषामां - पाली अने प्राकृतमां, मागधी अने सोरसेनी
बगेरेमां - छे तेथी एक मात्र प्राकृतने सारी रीते शीखी
जवाथी' पाली वरर बीजी बीजी पाचीन श्ाखीय भाषाओं
शान सहेज़े सदहेजे थई्द जय ऊ. `
मूझ जेन सिद्धांतो प्राकृतभाषामां छे मने बौद सिद्धातो
पाली भाषामां छे तेथी बोद्ध अने जेन धमेना अभ्यासीदय
तो आ भाषा जरूर शीखी लेवी ज्ोइए.
वर्णविज्ञान
स्वरा
हस्व दीं उच्चारणोनुं स्थान
अ आ कंड अने नासिकां
১ तालु अने नासिका
ड ऊ ओए-होठ-अने नासिका
অ+হশ্হ कंठ अने ताल तथा नासिकौ
अ+उत्झो कंठ अने होठ तथा नासिका
स्वस्नुं प्लुत उच्चारण प्राकृतभांषाना व्यवहारमांथी
जतं रघुं छे.
जे व्रणे, कंडमांथी बोलाय ते कंख्य, ताल्युमांथी बोलाय
ते साङ्व्य, भोच्ठम्गथी वोखाय ते ओष्ठ्य अने ण बन्नेमांथी
बोखाय ते कं्यलार्व्य के कंट्योष्ठ वथा नालिकाममांथी
बोखाय ते नासिक्य-अलुनासिक कटेवाय. कैट बटे गदु,
বাস্তু হাক, বানু,
सस््वरो बचा অভুনাতিক छे पण तेमनं ते जातुं उच्चा-
रण स्थरूपिशेत्रमां ज थाय ऊ, वपे नदि.
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