श्रमण महावीर | Sravan Mahavir

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Sravan Mahavir by मुनि नथमल - Muni Nathmal

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मुनि नथमल जी का जन्म राजस्थान के झुंझुनूं जिले के टमकोर ग्राम में 1920 में हुआ उन्होने 1930 में अपनी 10वर्ष की अल्प आयु में उस समय के तेरापंथ धर्मसंघ के अष्टमाचार्य कालुराम जी के कर कमलो से जैन भागवत दिक्षा ग्रहण की,उन्होने अणुव्रत,प्रेक्षाध्यान,जिवन विज्ञान आदि विषयों पर साहित्य का सर्जन किया।तेरापंथ घर्म संघ के नवमाचार्य आचार्य तुलसी के अंतरग सहयोगी के रुप में रहे एंव 1995 में उन्होने दशमाचार्य के रुप में सेवाएं दी,वे प्राकृत,संस्कृत आदि भाषाओं के पंडित के रुप में व उच्च कोटी के दार्शनिक के रुप में ख्याति अर्जित की।उनका स्वर्गवास 9 मई 2010 को राजस्थान के सरदारशहर कस्बे में हुआ।

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जीवनवृत्त : कुछ चित्र-कुछ रेखाएं कुमारश्रमण केशी भगवान्‌ पाश्वं के ओौर श्रमण गौतम भगवान्‌ महावीर के शिष्य थे । भगवान्‌ महावीर अस्तित्व मे आए ही ये। उनका घम-चक्त अभी प्रवृत्त हुआ ही था। अभी सूर्य की रश्मिया दूर तक फैली नही थी । केशी यह अनुभव कर रहे थे कि अधकार और अधिक घना हो रहा हैं। श्रमण परम्परा के आकाश में ऐसा कोई सूर्य नही है जो इस अधकार को प्रकाश मे बदल दे। यौतम से उनकी भेंट हुई तब उन्होंने अपनी मानसिक अनुभूति गौतम के सामने रखी । वे बेदना के स्वर में बोले, “आज बहुत बडा जनसभूह घोर तमीमय अधकार मे स्थित हो रहा है ! उसे प्रकाश देने वाला कौन होगा ? ' गौतम ने कहा, “भते । लोक को अपने प्रकाश से भरने वाला सूयं अब उदित हो चुका है। वह जन-समूह को अंधकार से प्रकाश मे ले आएगा ।' गौतम के उत्तर से केशी को आश्वासन जैसा मिला । उन्होंने बिस्मय की भाषा मे पा. वह सूर्य कौन है ”' वह सूयं भगवान्‌ महावीर है ।' 'कौन है वह महावीर ?' प्रारम्भ मे विदेह जनपद का राजकुमार और आज विदेह-साधना का समर्ध साधक, महान्‌ अहत्‌, जिन जीर केवली ।/' सक्षिप्त उत्तर से केशौ की जिज्ञासा शान्त नही हुई । तब गौतम ने भगवान्‌ महायीर के जीवनवृत्त के अनेक चित्र केशी के सामने प्रस्तुत किए । स्वप्न्‌ निरश्च नीलन गगन । शन्त, नीरव वातावरण । रान्नि को पश्चिम प्रहर। ५ ५ भाक এ १. उत्तैरम्व णाभि! २३।४५५-५८




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