तारण शब्द कोष | Taran Shavd Kosh

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Taran Shavd Kosh by जयसेन महाराज - Jaysen Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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4०० 181 | ॥ ल १ ~ न अर + ~ >, त त 0 সস । 1 (| ६५ ५ + 5६ + + ६५ 1 ৪5 | £ & $ | # ¢ + ९५ $ # है + 4) ४ ¢ १ । ७२ ¢ १ ७३ 4 + ५५ | | ५५४ । ७६ # ৬ ॥ ও भै; ৬ निधय नय जानन्ते पिधीयते योगी पणिरना पृजा उकार अचच्चुदशन अंकुर रा वायं लोकित॑ त अथ नकः স্পা यथाथ, सत्यार्थ, नि्चयनय ॥ अपेक्षा | , जानते हैं । র্‌ पिधान या ग्राप्ति | । जा मन, वचन, काय का वशमें रखता हुआ ग्रान्माक्रा | ध्यान करे सी योगी । ! हयापाद य-विवेक वुद्धि जिम के पास हो सी परण्टडित । जिसके भावां में पवित्रता স্সান सो पृजा । সাঙ্কাহ | ক্সনাল্তিষ (स्वमव॑दनमम्य) | अकर | । शक्ति | । देखना | ० तीन अर्थ-- मम्यण्दशन,




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