श्री महावीर निर्वाण स्मारिका | Shree Mahaveer nirvan smarika
श्रेणी : इतिहास / History
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
104
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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ज्योति पुञ्ज जीवन के
--सारादस तिधिरोधः
बचपन के तुम वद्ध मान थे,
सन््मंति थे तुम 'यौवन के,
ज्योति पुझ्ज थे अखिल विश्व 'के,
दर्शन थे जग-जीवन के,
जहा विरोधाभास खड़े थे,
श्रौर श्रसंगति मुह बाएं थी;
जहाँ -टूटते मूल्य देखकर,
मानवता भी श्रकुलाए थी,
भ्रधियारे की बाहुपाश मे,
सिमट रही थी समी दिशाए;
जहाँ विषमता ग्रौर विफलता,
भ्राठ पहर थी दुखी तृषाए,
वहाँ एक तुम ज्ञानोदय थे,
-ती्थ.कर -ये सकल भुवन के;
जहां ज्योति का श्रौर तिमिरका,
हरक्षण॒ -युद्ध चिंडार -हता था,
ভি গীহ ভুল ঘনঘ रहे थे,
सत्य. यातनाएँ सहता था;
सत्य, श्रहिसा और আসান,
त्याग मादव, सयम, तप के,
लक्षण दिए जगत को तुमने,
कष्ट हरे मन के श्रातप के;
तुम तो होकर रहै महनिश,
पथ प्रदशेक जग-गण मन के ।
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